इन लक्षणों से आप भी जान सकते हैं कहीं ‘डिप्रेशन’ में तो नहीं जी रहे हैं आप
हर किसी की जिंदगी में कई तरह के पल आते हैं कभी खुशी रहती है तो कभी दुख के पल भी आते हैं और ऐसा नहीं है की ये कुछ चुनिन्दा लोगों के साथ ही होता है बल्कि ऐसा इस संसार में रह रहे सभी व्यक्तियों के साथ होता है। हम सब अपने जीवन में कुछ वक़्त के लिए दुखी या नाखुश होते लेकिन अवसाद यानी की डिप्रेशन की स्थिति इससे काफी अलग होती है। देखा जाए तो अभी तक ये पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है की डिप्रेशन आखिर होता किस वजह से है मगर हाँ इसके होने में कई बातें काफी ज्यादा महात्व्प्र्न भूमिका निभाती हैं। जैसे किसी अपने को खो देना, नौकरी छूट जाना या फिर अचानक से कुछ ऐसा हो जाना जिसकी आप उम्मीद ही नहीं किए रहते हैं।
अक्सर कई बार ऐसा होता है की आप होते तो डिप्रेशन की स्थिति में हैं मगर फिर भी खुद को संतवाना देते है की नहीं आप बस थोड़े से दुखी हैं और इस तरह की स्थिति आगे चलकर काफी मुश्किल हालत पैदा कर देती है इसीलिए आज हम आपको बताएँगे उन लक्षणों के बारे में जिससे आप जान सकते हैं की कहीं आप भी तो डिप्रेशन में नहीं जी रहे हैं।
डिप्रेशन के कारण और इलाज
डिप्रेशन यानि अवसाद से आजकल कोई भी अनजान नहीं हैँ, ये रोग आजकल हर तरफ और हर इंसान को अपने आसपास देखने को मिलता है। बड़े तो बड़े आजकल बच्चे और युवा भी इससे अछूते नहीं है। इसका लक्षण जल्दी पहचानने जरा मुश्किल हैँ पर असंभव नहीं। जितनी जल्दी इस रोग की पहचान होती है इलाज उतना सरल हो जाता है।
जानिए इसके लक्षण
- हर व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैँ, हर बात पर चिंता और घबराहट इसके प्रमुख लक्षण हैँ।
- खुद को बेकार समझना, मजबूर, निराश और चिड़चिड़ापन का महसूस होना।
- किसी काम में मन न लगना, जबकि वही काम पहले आप बहुत जोश के साथ कर पाते थे।
- उत्साह और ऊर्जा में कमी, भूख में बदलाव-उसका कम या ज्यादा लगना।
- निर्णय न ले पाना, नींद नहीं आना या समय से ज्यादा सोना।
- आत्महत्या के ख्याल आना।
अगर इनमें से कोई भी लक्षण हों तो आप इसके बारे में अपने किसी करीबी से बात करें और झिझक न रखें, बेशक इसका इस रोग का इलाज धीमा हैं पर असंभव नहीं है।
डिप्रेशन का इलाज
डिप्रेशन के इलाज प्रकृतिक भी हो सकते हैँ और वैज्ञानिक भी, योग और व्यायाम दोनों ही डिप्रेशन को रोकने और इसे ख़त्म करने में कारगर हैँ। अगर व्यक्ति की दिनचर्या में ये दोनों चीजें हैँ तो डिप्रेशन के होने काफ़ी काम आसार रहते हैँ और अगर डिप्रेशन हैं तो बिना दवाईयों के भी इससे पार पाना संभव है, अलग अलग शौक अपनाकर भी व्यक्ति इस रोग से पार पा सकता है जैसे बागवानी, पेंटिंग, संगीत, कुकिंग आदि। हर व्यक्ति के अलग अलग शौक हो सकते हैँ बस वह उन्हें समय दे।
आज के समय में एक समस्या लगभग हर व्यक्ति की हैं वह है अकेलापन। डिप्रेस्ड व्यक्तियों को ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार या लोगों के साथ बिताना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो एक मनोचिकित्सक या कॉउंसलर से परामर्श कर लेना चाहिए इसमें संकोच या झिझक रखना सही नहीं होता। आजकल हर तरफ डिप्रेशन को लेकर जागरूकता और इलाज के बहुत से कैंप चलाये जा रहे हैं। डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति के लिये ये बहुत कारगर साबित होते हैँ क्यूंकि यहाँ व्यक्ति अपने सवाल बेझिझक पूछ सकता है और परामर्श भी ले सकता हैं। बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियां और हमारा खानपान डिप्रेशन के इलाज में लाभदायक है, डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाइयां भी उपलब्ध हैँ मगर इन्हे लेने से पहले आप किसी चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
अच्छी किताबें, प्रेरणादायी लोगों को सुनना भी इलाज में काफी ज्यादा कारगर माना जाता है। डिप्रेस्ड व्यक्ति को अकेले नहीं रहना चाहिए और अपनी समस्याओं को खुलकर अपने क़रीबियों को बताकर उनका हल ढूंढना चाहिए। एक मुख्य कारण जो बचाव भी हो सकता है वह है व्यक्ति की व्यस्तता। बताते चलें की व्यक्ति जितना ज्यादा व्यस्त होगा उतना ही डेप्रेस्सिव विचारों से बचा रहेगा, अंतत: डिप्रेशन का बचाव और इलाज दोनों संभव हैँ, आपको फिर से याद दिला दें इसका इलाज धीमा हो सकता हैं पर असंभव नहीं।