इस सुरंग से दोगुनी हो जाएगी पाकिस्तान-चीन बॉर्डर पर भारतीय सैनिकों की ताकत
न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: दुनियाभर में कई अजब गजब चीजें देखने को मिलती हैं और अपने अनोखेपन की वजह से ये चर्चाओं में बनी रहती हैं। भारत देश में भी एक ऐसी जगह है जो दुनियाभर में मशहूर है। हम बात कर रहे हैं। लेह-मनाली हाइवे की जो पूरे विश्व में सबसे ऊंची और लंबी सड़को में से एक है। इस सड़क में जल्द ही सुरंग बन कर तैयार होगी। जो भारतीय सेना की ताकत को दोगुनी कर देगी। अब आप सोचेंगे कि भला सड़क से सेना की ताकत कैसे बढ़ेंगी? तो सबसे पहेल आपको बता दें कि ये रोहतांग टनल भारत को चीन और पाकिस्तान के बॉर्डर से जोड़ेगा जिससे भारतीय सेना की पकड़ इन सीमाओं पर और सख्त हो जाएगी साथ ही उन्हें यहां पहुंचने में बेहद कम समय लगेगाा।
बता दें कि रोहतांग टनल को बनाने की प्रस्तावना सन् 1983 में मिली थी, जिसके बाद से साल 2010 में इसको बनाने का कार्य शुरू किया गया था और जिसे पूरा करने का लक्ष्य 2019 रखा गया था। बता दें कि इस टनल की लंबाई 8.8 किलोमीटर है। और इसे अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के तहत बनाया जा रहा है। साथ ही इस टनल के निर्माण से आपके सफर में 4-5 घंटों की बचत भी होगी। साथ ही आपको बता दें कि ये सुरंग लाहौल जिले के मुख्यालय, मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी को 48 किलोमीटर तक कम कर देगी।
इस परियोजना से संबंधित इंजीनियरों का कहना है कि रोहतांग सुरंग के निर्माण के बाद लाहौल और स्पीति घाटी के लिए साल भर सड़क के माध्यम से संपर्क की सुविधा हो जाएगी। बता दें कि सुरंग के लिए सड़क मौजूदा मनाली लेह राजमार्ग से पालंच में बनाई जाएगी। जो मनाली से लगभग 9 किलोमीटर दूर है और आगे जाकर हाइवे से जुड़ेगी। इसके माध्यम से लाहौल में रहने वाले आदिवासियों को ठंड के वक्त देश के बाकी हिस्सों से जुड़ने में आसानी होगी और चिकित्सा, आपातकाल के मामलों में भी सुरंग को पार करने की इजाजत दी जाएगी। खुदाई का काम पूरा होने के बाद नियमित अंतरालों पर सुरक्षा बिंदुओं, अग्नि सुरक्षा, वेंटिलेशन और फोन बूथ जैसे कामों के बाद, सुरंग सामान्य ट्रैफिक के लिए खोल दी जाएगी।
हिमांचल प्रदेश के रोहतांग दर्रा में यह सुरंग 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और इसके निर्माण में कई भौगोलिक समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है। इस महत्वकांक्षी परियोजना के इंजीनियरों की मानें तो 2017 में सुरंग के दोनों छोरों का काम पूरा हो चुका था और साल 2019 की तय समय सीमा के भीतर इन एक्सपर्ट्स की टीम इस सुरंग सेवा की शुरूआत हो जाएगी।
जहां तक भारतीय सैन्य बल की मजबूती की बात है तो देश के जवानों का मानना है कि कारगिल युद्ध के दौरान साल भर सड़क संपर्क का महत्व अनुभव किया गया था। हिंमाचल के जम्मू-कश्मीर और रोहतांग के पास की सड़के सर्दियों में अवरूद्ध थीं और ऐसे में इस सुरंग के निर्माण से ना केवल दूरी कम होगी बल्कि सभी मौसम संबंधी संपर्क भी उपलब्ध होंगे। ये निर्माण महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।