ISRO ने पहले 3 मिनट में 300 किमी दूर सैटेलाइट को मार गिराया, अब किया वो काम की दुशमन की खैर नहीं
मिशन शक्ति के बाद भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था यानी की इसरो ने पीएसएलवी C-45 रॉकेट के जरिए EMISAT सैटलाइट को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया है। EMISAT इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटलाइट है। ये डीआरडी को डिफेंस रिसर्च में मदद करेगा इसका काम होगा दुश्मन के रेडार की जानकारी देना। बता दें कि इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 29 नैनो सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं। इसमें भारत के एमीसैट, 24 अमेरिका के, 2 लिथुआनिया के और 1-1 उपग्रह स्पेन औऱ स्विटरजरलैंड के हैं।
ISRO को मिली एक और सफलता
गौरतलब है कि पहली बार इसरो का मिशन एक साथ तीन कक्षाओं के लिए भेजा गया है। ये लॉन्चिंग सुब 9 बजकर 27 मिनट से पीएसएलवी-सी 45 रॉकेट की मदद से की गई है। लॉन्च किए गए भारतीय उपग्रह एमिसेट का इस्तेमाल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम को मापने के लिए किया जाएगा। इसके जरिए दुश्मन देशों के रेडार सिस्टम पर नजर रखने के साथ ही उनकी लोकेशन का भी पता लगाया जा सकेगा। भेजे जा रहे उपग्रहों में एमिसैट का वजन 436 किलोग्राम और बाकी 28 उपग्रहों का कुल वजन 220 किलोग्राम है।
ISRO chairman K Sivan: #PSLVC45 is now marching towards the 485km orbit to do its function as an orbital platform for experiments. I want to thank the team members for making the mission a success. pic.twitter.com/wr5rxJwUVM
— ANI (@ANI) April 1, 2019
बता दें कि ये पूरा अभियान 180 मिनट का था। पहले 17 मिनट पूरे होने पर पीएसएलवी ने 749 किम की ऊंचाई पर एमिसैट को स्थापित किया है। इसके बाद चौथे चरण में लगे सोलर पावर इंजन को चलाकर करीब 504 किमी की ऊंचाई पर लाया गया और यहां 28 विदेशी सैटेलाइट स्थापित किए गए हैं। चौथे चरण में ही रॉकेट को 485 किमी ती ऊंचाई पर लाकर तीन प्रायोगिक पेलोड की मदद से चंद्रयान-2 अभियान से जुड़े कुछ खास प्रयोग किए जाने हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का ये पहला ऐसा मिशन है जिसे आम लोगों की मौजूदगी में लॉन्च किया गया है। इसके लिए इसरो ने एक गैलरी तैयार की जिसमें 5 हजार लोग बैठ सकेंगे। इस गैलरी से दो लॉन्चपैड दिखाई देंगे।
क्या है EMISAT का काम
एमिसैट को इसरो और डीआरडीओ ने मिलकर बनाया है। ये उपग्रह देश की सुरक्षा के लिए बहुत ही आवश्यक है। इसका खास मकसद है सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक या किसी भी तरह की मानवीय गतिविधि पर नजर रखना। देश के ऊपर मंडराते खतरों के चलते एमिसैट देश के लिए बहुत लाभदायक होगा।
इस बार पीएसएलवी सी 45 से 29 सैटेलाइच लॉन्च किए जाएंगे। पीएसएलवी की ये 47वीं उड़ाने होंगी। बता दें कि ये बहुत ही भरोसेमंद लॉन्च व्हीकल माना जाता है। जून 2017 अपनी 39वीं उड़ान के साथ पीएसएलवी दुनिय का सबसे भरोसेमंद सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बना है। 104 सैटेलाइट्स लॉन्च करने के लिए वैज्ञानिकों ने पीएसएलवी के पावरफुल एक्सल वर्जन का इस्तेमाल किया था। 2008 में मिशन चंद्रयान और 2014 में मंगलयान भी इसी के जरिए पूरा किया गया था।
इसरो ने अपने नाम किया था वर्ल्ड रिकॉर्ड
गौरतलब है कि 15 फरवरी 2017 को इसरो ने एक साथ सबसे ज्यादा सैटेलाइट्स ल़ॉन्च करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। 30 मिनट में एक रॉकेट के जरिए 7 देशों के 104 सैटेलाइट्स एक साथ लॉन्च किए थे। इससे पहले ये रिकॉर्ड रुस के नाम था। अब ये रिकॉर्ड भारत अपने नाम कर चुका है।
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