‘हिंदुत्व मामला’ – सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : जाति और धर्म के नाम पर वोट मांगने पर रोक!
नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के सात जजों के बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जाति, धर्म ,समुदाय के आधार पर वोट मांगना गलत है। चुनाव के दौरान धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रत्याशी और उसके विरोधी व एजेंट की धर्म, जाति और भाषा का इस्तेमाल वोट मांगने के लिए नहीं किया जा सकता है। इस मामले को ‘हिंदुत्व मामला’ नाम दिया गया था क्योंकि इसके तहत यह तर्क दिया गया था कि हिंदुत्व धर्म नहीं जीवन शैली है। Caste creed or religion vote.
वोट के लिए धर्म का इस्तेमाल गैरकानूनी –
सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि प्रत्याशी या उसके समर्थकों का धर्म, जाति, समुदाय, भाषा के नाम पर वोट मांगना पूरी तरह से गैरकानूनी है। चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष पद्धति है इसलिए इस आधार पर वोट मांगना संविधान के खिलाफ है। इसका असर आने वाले पांच राज्यों में पड़ने की संभावना है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में एक याचिका दाखिल की गई थी, इसके तहत सवाल उठाया गया था कि धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगना जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत गैरकानूनी है या नहीं।
‘हिंदुत्व’ शब्द का अर्थ जीवन शैली से है –
आपको बता दें कि 1995 के दिसंबर में जस्टिस जेएस वर्मा की बेंच ने फैसला दिया था कि हिंदुत्व शब्द भारतीय लोगों की जीवन शैली की ओर इंगित करता है हिंदुत्व शब्द को सिर्फ धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1995 में जो फैसला दिया था वह उस पर न पुनर्विचार करेगा और न ही उसे दोबारा एग्जामिन करेगा। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर आने वाले पांच राज्यों में नजर आ सकता है। इस फैसले का पालन नहीं करने वाले जनप्रतिनिधियों के चुनाव रद्द होने का डर रहेगा।