मां की एक आंख नहीं थी तो बेटा करने लगा नफरत, पढ़-लिखकर विदेश बस गया, मां की मौत के बाद जब लौटा..
मां शब्द के आगे हर शब्द छोटा होता है. यह बात बिलकुल सच है कि मां के चरणों में दुनिया होती है और मां बच्चे का रिश्ता सबसे गहरा होता है. एक मां अपने बच्चे के मन की बात बिना कहे समझ जाती है. वह अपने बच्चे के लिए दुनिया से लड़ जाती है. एक लड़की के लिए मां बनने का सुख सबसे बड़ा सुख होता है. एक लड़की असल मायने में पूर्ण तभी मानी जाती है जब वह मां बनती है. 9 महीने पेट में रखने के बाद जब बच्चा दुनिया में आता है तो सबसे ज्यादा ख़ुशी मां-बाप को होती है. जब बच्चे छोटे होते हैं तो मां बाप उनकी सहूलियत के लिए अपनी जी जान लगा देते हैं लेकिन जब वही बच्चे बड़े होते हैं तो उनके लिए मां-बाप बोझ लगने लगते हैं. आज के इस पोस्ट में हम आपके लिए एक ऐसी ही भावुक कर देने वाली कहानी लेकर आये हैं.
किसी शहर में एक महिला अपने बेटे के साथ रहा करती थी. महिला की एक आंख ख़राब थी जिस वजह से वह अच्छी नहीं दिखती थी. उसके पति की भी मौत एक्सीडेंट में हो गयी थी. पति की मौत के बाद उसने जैसे-तैसे छोटे-मोटे काम करके अपने बेटे की परवरिश की. उसने बेटे को पढ़ाया-लिखाया और बड़े प्यार से उसे बड़ा किया. एक दिन स्कूल जाते वक्त बेटा अपना लंच बॉक्स घर पर ही भूल गया. बेटा स्कूल में भूखा न रह जाए ये सोचकर मां उसे स्कूल लंच बॉक्स देने चली गयी. स्कूल में जब बाकी बच्चों ने उसकी मां का चेहरा देखा तो वह लड़के का मजाक बनाने लगे. लड़के को अपनी मां की वजह से बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई. घर आकर लड़के ने अपनी मां को बहुत डांटा और उसने सोच लिया कि बड़ा होने पर वह यहां से चला जाएगा.
लड़का धीरे-धीरे बड़ा हो गया. स्कूल पास करने के बाद वह कॉलेज में गया जहां उसे स्कॉलरशिप मिल गयी. लड़का अपनी मां को छोड़कर पढ़ाई के लिए विदेश चला गया और वहीं नौकरी करने लगा. उसने वहां शादी भी कर ली और अपनी जिंदगी ऐशो-आराम से बीताने लगा. इस बीच उसने मां को एक बार भी याद नहीं किया. जब मां फोन करती तो वह ठीक से बात भी नहीं करता. कुछ दिनों बाद लड़के की मां का देहांत हो गया. मां के मरने के बाद उसे मजबूरी में अंतिम संस्कार करने आना ही पड़ा. मां का अंतिम संस्कार करके जब वह घर पहुंचा तो उसे एक चिट्ठी मिली.
चिट्ठी में उसकी मां ने लिखा था, “प्यारे बेटे, मैंने तुम्हारा बहुत इंतजार किया लेकिन तुम नहीं आये. मुझे पता है कि मेरी वजह से तुम्हे शर्मिंदगी झेलनी पड़ी लेकिन आज मैं तुम्हे एक ऐसी बात बताने जा रही हूं जो तुम्हे नहीं पता. जब तुम छोटे थे तब तुम्हारे पिताजी हमें घुमाने ले गए थे. उसी एक्सीडेंट में तुम्हारे पिताजी की मौत हो गयी थी और तुम्हारी एक आंख की रौशनी चली गयी. मैं तो अपना आधा जीवन बीता चुकी थी लेकिन तुम्हारे आगे पूरी जिंदगी पड़ी थी. इसलिए मैंने अपनी एक आंख तुम्हे दे दी”. मां का ये ख़त पढ़ते ही बेटा जोर-जोर से रोने लगा और उसे अपने किये पर बहुत पछतावा हुआ. लेकिन अब उसके पास रोने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था.
जब बच्चे छोटे होते हैं तो मां-बाप अपना सब कुछ लुटाकर अपने बच्चों की ख़ुशी का ध्यान रखते हैं. उन्हें प्यार से पाल-पोसकर बड़ा करते हैं. लेकिन ऐसा क्यों होता है कि जब यही बच्चे बड़े हो जाते हैं तो इनके लिए खुद के मां-बाप बोझ लगने लगते हैं. जिस तरह से मां-बाप ने बचपन में बच्चों का ध्यान रखा उसी तरह बच्चों का भी कर्तव्य है कि वह अपने मां-बाप का भी ध्यान रखें. याद रखिये जैसे-जैसे आप बड़े होते हैं, मां-बाप बूढ़े होते जाते हैं. मां-बाप से बढ़कर दुनिया में कोई कीमती तोहफा नहीं है.
पढ़ें मां बेचती थीं बर्तन और कपड़े, 33 साल तक चाल में गुज़री ज़िंदगी, याद कर भावुक हुए जैकी श्रॉफ
दोस्तों, उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी ये कहानी पसंद आई होगी. पसंद आने पर लाइक और शेयर करना न भूलें.