होली के एक दिन पहले जीजा ने साली को फोन कर के कही ऐसी बात कि अब खा रहा है जेल की हवा
न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: दहेज एक ऐसी कुप्रथा है जो सालों से चलती आ रही हैं। लेकिन आज तक यह रूकी नहीं हैं। इस कुप्रथा के चलते ही ना जानें कितनी बेटियों ने अपनी जान गवां दी। कितनी बेटियां इस दहेज की बली चढ़ गई हैं। आए दिन ना जाने कितनी रिपोर्ट लिखी जाती हैं जिसमें दहेज ना देने के एवज में लोग अपनी बहुओं और बीवियों को या तो फांसी लगा देते हैं या फिर जिंदा जला देते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी हर रोज कई जिंदगिया इस कुप्रथा की बली चढ़ती हैं। आज हम आपको ऐसा ही एक मामला बताएंगे जो आपका दिल दहला देगा।
हाल ही में उत्तर प्रदेश में एक ऐसा ही मामला सामने आया हैं। जिसमें एक औरत को शादी के चार साल बाद दहेज के लिए मौत के घाट उतार दिया गया है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गोरखपुर के रियांव गांव में एक महिला की रहस्यमय ढंग से मौत हो गई। महिला का नाम खुशबू बताया जा रहा है जिसकी चार साल पहले ही शादी रियांव गांव के शैलेश यादव से हुई थी।
खुशबू की शादी को 4 साल हो गए थे और वो एक बेटे की मां भी थी। सबकुछ ठीक ठाक चल ही रहा था कि 19 मार्च को करीब सुबह 11 बजे खुशबू की बहन के पास शैलेश का फोन जाता है और वो खुशबू की बहन को बताता है कि उसकी बहन ने फांसी लगाकर जान दे दी है। खुशबू की मौत की खबर सुनकर पूरा घर शोक में डूब गया। उसके घर वाले आनन-फानन में गोरखपुर पहुंचे और शव का अंतिम संस्कार किया।
बता दें कि इस तरह अचानक से खुशबू की खुदखुशी की बात किसी के गले के नीचे नहीं उतर रही थी। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि खुशबू ऐसा कदम उठा सकती है। हालांकि खुशबू के पिता ओमप्रकाश नें खुशबू के पति, ननद, जेठानी, देवर, सास-ससुर और ससुर के पिताजी समेत कुल आठ लोगों पर दहेज हत्या का मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने मामला दर्ज करके केस की जांच करनी शुरू कर दी है।
बता दें कि भले इस कुप्रथा को लेकर कितने भी नियम कानून बनाए गए हों। लेकिन यह अपराध कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। आए दिन अखबारों में और न्यूज चैनल में इस तरह के कितने मामले सामने आते हैं। बता दें कि कितने तो मामले हैं जिनकी पुलिस में रिपोर्ट तक दर्ज नहीं हो पाती है। इन दिनों हमलोगों ने कई शादियां देखी जिसमें लड़की वालों ने खूब दहेज देकर अपनी बेटियों को विदा किया लेकिन ये प्रथा उन लोगों के लिए एक अभिशाप की तरह बन जाती है जो ये दहेज देने में सक्षम नहीं होते हैं। जिसके चलते उनकी बेटियों को इस कुप्रथा के चलते अपनी जान से हाथ गवांना पड़ता है।