महेश ने साधु से अपनी समस्या बताई और हल मांगा, साधु को उसकी बात सुनकर हंसी आ गई औऱ फिर जवाब दिया
एक शहर में एक महेश नाम का एक व्यक्ति रहता था। वो दिन भर खेतों में काम करता था औऱ मेहनत से अपना परिवार चलाता था। वो हमेशा सोचता था कि वो कितनी भी मेहनत क्यों ना कर लें उसकी परेशानियां कम होने का नाम ही नहीं लेती हैं। उसे लगता कि उसका जीवन कितना कठिन है और ना जानें ये कठिनाइयां कब खत्म होगी। उसे ऐसा लगता कि उसके जीवन जितनी कठिनाइयां किसी के जीवन में नहीं होंगी। एक समस्या खत्म नहीं होती की दूसरी शुरु हो जाती। अपनी इन्हीं परेशानियों में वो हमेशा परेशान रहता।
महेश ने अपनी परेशानी साधु को बताई
एक दिन उसने एक साधु को पेड़ के नीचे बैठे देखा। वो उनके पास जाकर बैठ गया। साधु ने कहा –क्या हुआ, चेहरे पर इतना तनाव , किस बात की परेशानी हैं। महेश ने कहा- हे प्रभु मेरे जीवन में बहुत कठिनाइंयां हैं, मुझे समझ नहीं आता की मैं इन परेशानियों का सामना कैसें करुं? साधु को उसकी बात सुनकर हंसी आ गई। उन्होंने कहा कि तुम्हारी इस परेशानी का हल मेरे पार हैं। मेरे साथ चलो, मैं तुम्हें बताता हूं कि तुम्हारी दुविधा कैसे दूर होगी।
साधु महेश को अपने साथ एक नदी के किनारे ले गए। वहां जाकर उन्होंने कहा जब हम दोनों नदी के उस पार पहुंच जाएंगे तो मैं तुम्हें तुम्हारी समस्या का हल बताउंगा। इतना कहकर साधु नदी के किनारे खड़े हो गए। बहुत देर तक वो चुपचाप खड़े रहे तो महेश को परेशानी होने लगी। उसने कहा- महाराज अगर हमें नदी पार करनी है तो हम इतनी देर से किनारे पर क्यों खड़े हैं?
साधु ने कहा- जब नदी का पानी सूख जाएगा तो हम आराम से नदी पार कर लेंगे। महेश ने कहा- नदी का पानी कैसे सूख सकता है। साधु ने हंसते हुए कहा- मैं भी तो तुम्हे यही समझा रहा हूं। जीवन भी एक नदी की तरह है और इसका पानी हमारे जीवन की परेशानी की तरह। हम इसी पानी यानी परेशानी पर चलते हुए अपने जीवन को पार करना है। जैसे ये पानी सूखने वाला नहीं है वैसे ही ये परेशानियां भी खत्म होने वाली नहीं है।
कैसे करें परेशानी की दूर
अगर तुम अपनी सारी जिंदगी सिर्फ एक ही जगह ख़ड़े होकर ये सोचने में बिता दोंगे की जब समस्याएं खत्म हो जाएगी तो तुम आगे बढ़ोगे तो ऐसा कभी नहीं होने वाला। जैसे इस नदी का पानी सूखने वाला नहीं है वैसे ही समस्याएं भी खत्म नहीं होने वाली हैं। इन्ही समस्याओं से लड़ते हुए तुम्हें आगे बढ़ना है तभी जीवन में सफलता पा सकोगे।
इस कहानी से हमें ये ही सीखने को मिलता है कि हमें अपनी परेशानियों को अपने सिर पर बोझ की तरह लेकर चलते हैं। समस्याएं जीवन में कभी खत्म होने वाली नहीं है। अगर हमें जीवन को सुख पूर्वक जीना है तो इन परेशानियों का सामना करते हुए हर दिन जीना है। पानी सूखने के इंतजार में ना बैठें। परेशानियों को दूर करें औऱ वो पाएं जिसका इंतजार आप कर रहे थे। क्यों ना प्रय़ास ज्यादा हो औऱ शिकायत कम ताकी हम उस किनारे तक पहुंच सकें जो हमारी मंजिल हैं।
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