जब हम अपनी जीत के लिए दूसरों को हराने का प्रयास करते हैं तो असल में हम खुद भी हार जाते हैं
हर किसी को जीत चाहिए और हर कोई सफलता का स्वाद चखना चाहता है। कई बार जीत हासिल करने की धुन कुछ इस कदर दिमाग पर सवार हो जाती है कि हम अंधे हो जाते हैं और हमें ये भी नहीं दिखता है कि हम अपनी जीत पाने के लिए सामने वाले का नुकसान कर रहे हैं। कभी कभी इस जीत के लिए हम दूसरों को हराने की सोचते हैं औऱ उन्हें हराने के चक्कर में खुद भी हार जाते हैं। इस कहानी के जरिए आपको ये बात समझाते हैं।
प्रोफेसर ने सभी स्टूडेंट्स को गुब्बारे दिए
एक कॉलेज में मनोविज्ञान के एक प्रोफेसर थे। वो इतनी बारीकी से अपने स्टूडेंट को पढ़ाया करते थे कि उनकी पढ़ाई सभी को अच्छी लगती थी। कोई भी स्टूडेंट उनकी क्लास नहीं छोड़ना चाहता था। उनके पढ़ाने औऱ समझाने का तरीका काफी आसान और सरल हुआ करता था। एक बार जब प्रोफेसर स्कूल आए तो अपने साथ ढेर सारे रंग बिरंगे गुब्बारे ले आए।
प्रोफेसर ने एक एक करके सारे गुब्बारे अपने स्टूडेंट्स में बांट दिए औऱ कहा इसे फुलाओ।सभी स्टूडेंट्स गुब्बारे फूलाने लगे। जब ढेर सारे गुब्बारे हो गए तो प्रोफेसर ने सबको धागा दिया औऱ कहा कि अब ये गुब्बारे बांध लो और ऐसे बांधना की हवा ना निकलने पाए। स्टूडेंट्स ने वैसा ही किया। इसके बाद प्रोफेसर ने सभी को एक एक पिन दी और कहा कि अब आपको बेहद ही आसान गेम खेलना है।
कौन बना विजेता
आप सभी के पास एक गुब्बार है और एक पिन है। 10 मिनट के बाद जिसका भी गुब्बारा सही सलामत रहा उसे ही इस खेल का विजेता घोषित किया जाएगा। सभी बच्चे पिन लेकर तैयार हो गए और एक दूसरे के गुब्बारे को पिन से चुभोने लगे। गेम का समय तुरंत ही खत्म हो गया। हालांकि किसी के पास गुब्बारा बचा नहीं ऐसे में विजेता कौन बनता।
इसके बाद प्रोफेसर ने कहा- आप लोगों ने मेरी बात ढंग से सुनी नहीं थी। मैंने सिर्फ कहा था कि गेम खत्म होने तक जिसके पास गुब्बारा बचा रहेगा वो ही खेल का विजेता होगा, लेकिन मैंने ये नहीं कहा था कि आपको एक दूसरे को गुब्बारे को पिन से फोड़ना है। खुद की जीत के लिए आपने सामने वाले का गुब्बारा फोड़ा और सामने वाले ने आपका गुब्बारा फोड़ दिया।
अपनी जीत के लिए दूसरों को ना हराएं
प्रोफेसर मे कहा कि जीतने के लिए दूसरों का नुकसान करना जरुरी नही है, लेकिन हमारी साइकोलिजी है ऐसे ही चलती है। हम अपनी जीत से ज्यादा दूसरों के हार में भरोसा रखते हैं। हम ये प्रयास नहीं करते की हम कैसे जीत सकते हैं बल्कि हमारा ये प्रयास होता है कि है कि हम कैसे सामने वाले को हराएं ताकी खुद जीत सकें।
इस कहानी से हम सीख सकते हैं कि हम आज तक किन किन मौके पर अपनी जीत इस तरह हारते आए हैं। जब भी आपको खुद को बेहतर दिखाने का मौका मिला होगा तो आपका सारा ध्यान खुद को सुधारने और बेहतर करने से ज्यादा दूसरे को नीचा दिखाने में रहा होगा। ऐसे में आपको सफलता कैसे मिलेगी। दुनिया में जो भी सफल होता है वो खुद अपनी जीत के बारे में सोचता है ना की सामने वाली की हार के बारे में।
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