यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का बड़ा खुलासा, बोलें ‘इस शख्स की वजह से लिया संन्यास, क्योंकि…’
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए दिन किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहते हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने साल 2017 में उत्तर प्रदेश की कमान संभाली और अब इनके कार्यकाल को दो साल हो गए। योगी आदित्यनाथ न सिर्फ यूपी के मुख्यमंत्री हैं, बल्कि बीजेपी स्टार प्रचारक भी हैं, ऐसे में इनकी जिम्मेदारी का दायरा बढ़ जाता है। इसी बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दो साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद अपने पुराने दिनों को याद किया और मीडिया में बहुत कुछ शेयर किया। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की पहचान बीजेपी के नेता के तौर पर तो होती ही है, लेकिन इनकी पहचान एक संन्यासी के तौर भी होती है। जी हां, योगी आदित्यनाथ ने बहुत ही पहले संन्यास ले लिया है, जिसके बाद वे राजनीति से जुड़ गए। यूपी के मुख्यमंत्री बनने से पहले गोरखपुर से पांच बार सांसद भी रह चुके हैं, जिससे यूपी में उनकी एक मजबूत पकड़ है। खैर, हम आपको योगी आदित्यनाथ ने संन्यास क्यों धारण किया, इसके पीछे की वजह के बारे में बताने जा रहे हैं।
ग्रैजुएशन में ही महंत अद्वैतनाथ से मिले
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब मैं ग्रैजुएशन कर रहा था, तब मेरी मुलाकात महंत अद्वैतनाथ से हुई। उस समय मेरे दिमाग में दो ही चीज़े चल रही थी, जिसमें से एक यह था कि मेरी रुचि हमेशा से ही अध्यात्म रही और दूसरा उस समय सांस्कृतिक आंदोलन रामजन्म भूमि आंदोलन को लेकर कार्यक्रम चल रहा था, जिसके अध्यक्ष अद्वैतनाथ ही थे, ऐसे में मेरा मन अध्यात्म की तरफ और बढ़ता गया।
साल 1993 में मैंने संन्यास लेने का फैसला किया
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि अद्वैतनाथ से मिलने के बाद मेरा मन वैराग्य की ओर चल पड़ा और फिर साल 1993 में मैंने संन्यास लेने का फैसला किया। इतना ही नहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि मेरे लिए संन्यास लेना कोई कठिन समस्या नहीं थी, बल्कि मेरा तो ध्यान ही शुरू से अध्यात्म से जुड़ा हुआ था और जब मैं महाराज अद्वैतनाथ से मिला, तब मुझे लगा कि अब उचित समय आ गया और मैंने संन्यास लेने का फैसला कर लिया और जिसके बाद उन्होंने संन्यासी बनने के लिए हर परीक्षा दी।
बसंत पंचमी के दिन ली थी दीक्षा
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मैंने 1994 के बसंत पंचमी के दिन योग दीक्षा ली और जिसके बाद मैं पूरी तरह से संन्यासी बन गया। बता दें कि संन्यास लेने से पहले योगी आदित्यनाथ काफी ऐश से जीते थे, लेकिन उन्होंने अपना सब कुछ छोड़कर संन्यास का रास्ता अपनाया और फिर आरएसएस से जुड़ गए। योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि मैं आज भी संन्यासी हूं और आगे भी संन्यासी रहूंगा, क्योंकि यही मेरी पहचान है।