दिलचस्प

हर सवाल के जवाब हमारे पास होते हैं, बस उसे खुद से ही समझने की जरुरत होती है

एक देश में राजा हुआ करता था जो की नास्तिक था। उसे भगवान पर बिल्कुल यकीन नहीं था। वह सोचता था कि भगवान तो उसने कभी देखा नहीं तो भगवान हो ही नहीं सकता। उसी के दरबार में एक समझदार मंत्री रहता था वो भगवान का बहुत बड़ा भक्त था। राजा हमेशा अपने मंत्री से परेशान रहता था क्योंकि वो उसकी सब बात मानता था, लेकिन भगवान में आस्था की बात पर उसकी बहस होने लगती थी। एक दिन राजा ने अपने मंत्री को नीचा दिखाने के लिए उससे तीन सवाल पूछ लिए औऱ कहा कि इसके उत्तर बताओ।

राजा के सवालों से परेशान हुआ मंत्री

राजा ने मंत्री से पूछा- भगवान कहां रहता है वो कैसे मिलता है औऱ वो क्या करता है? मंत्री राजा का ये सवाल सुनकर चौक गया। मंत्री को उस वक्त तो कुछ समझ नहीं आया उसने कहा कि महाराज मैं आपको ये जवाब कल दूंगा। मंत्री घर तो आ गया, लेकिन उसके समझ नहीं आ रहा था कि वो राजा को ये बात कैसे समझाए। उसे ईश्वर पर भरोसा था, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे समझा सकता है।

पिता को परेशान देख उसके बेटे ने कहा कि पिता जी आप इतना परेशान क्यों हैं। मंत्री ने कहा कि राजा ने मुझसे तीन सवाल पूछा है कि भगवान कहां है, वह कैसे मिलता है और वो क्या करता है?  मंत्री का बेटा इसका जवाब जान गया था। उने पिता से कहा कि पिताजी आपको परेशान होने की जरुरत नही है। आप मुझे कल अपने साथ दरबार में ले चलिएगा, मैं आपके सारे सवालों का जवाब दे दूंगा।

मंत्री अपने बेटे की बात मान गया औऱ बोला ठीक है कल राजा को जवाब तुम्हीं देना। मंत्री जब दरबार में पहुंचा तो राजा से बोला- महराज जो भी आपके सवाल हैं उसका जवाब मेरा बेटा आपको देगा। राजा ने कहा ठीक है तो बताओ- भगवान कहां रहता है?

मंत्री के बेटे ने दिया जवाब

मंत्री के पुत्र ने एक गिलास शक्कर मला हुआ दूध मंगवाया और कहा –ये दूध आपको कैसा लगा? राजा ने कहा- ये मीठा है। पुत्र ने कहा – क्या इसमें आपको शक्कर दिखाई दे रही है? राजा ने कहा दूसरे प्रश्न का जवाब दो। भगवान मिलते कैसे हैं।

मंत्री के बेटे ने कहा- क्या इस दूध में आपको मक्खन दिखाई दे रहा है? राजा ने कहा कि  मक्खन तो दही में है पर इसको मथने पर ही दिखाई देगा। मंत्री के पुत्र ने कहा –उसी तरह मन को मथने से ही भगवान के दर्शन हो सकते हैं। राजा ने अंतिम सवाल पर कहा कि  -इस सवाल का जवाब देने से पहले आपको मुझे गुर स्वीकार करना पड़ेगा। राजा ने कहा कि ठीक है तुम मेरे गुरु और मैं आपका शिष्य। मंत्री ने कहा कि गुरु तो ऊंचे आसन पर बैठता है और शिष्य नीचे।

राजा ने उसे गद्दी पर बैठा दिया औऱ खुद नीचे बैठ गया। तब मंत्री के पुत्र ने बताया कि भगवान का यही काम है वो पल में किसी को भी राजा से रंक बना देता है औऱ रंक से राजा। ये सारे उत्तर सुनकर राजा को समझ आ गया की भगवान होते हैं। हमारे पास ऐसी कोई भी समस्या नही है जिसका हल हमें नहीं मिल सकता।

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