दूसरों के साथ बूरा करने वाला कभी खुश नहीं रह सकता, उसे उसकी गलती की सजा मिल जाती है
हमारे साथ जब भी बूरा होता है तो हम दुखी होते हैं कि ऐसा क्यों हुआ औऱ सामने वाले ने हमारे साथ गलत क्यों किया। हमें तो पता नहीं चलता, लेकिन हमारे साथ गलत करने वाले व्यक्ति को उसकी गलती की सजा मिल ही जाती है। अगर हम किसी के साथ बूरा करने का सोचते हैं तो हम खुद के साथ होने वाले अच्छे अवसर को गवां देते हैं और हमारे साथ खुद भी गलत हो जाता है। आपको ये बात कहानी के रुप में समझाते हैं।
यमराज ने युवक को दी पुस्तक
एक बार यमराज एक व्यक्ति के प्राण हरने खुद धरती पर आए। उन्होंने सोचा की इसके प्राण लेने में वक्त है तो क्यों ना इस व्यक्ति की थोड़ी परीक्षा ही ले ली जाए। जब वो उस व्यक्ति के पास पहुंचे तो वो उन्हें पहचान नहीं पाया। हालांकि घर आए मेहमान को ऐसे तो जाने नहीं दे सकते लिहाजा उसने यमराज को पानी के लिए पूछा। यमराज उसकी मेहमान नवाजी से प्रसन्न हो गए। उन्होंने उस युवक को बताया कि मैं यमराज हूं। तुम्हारे प्राण लेने आया हूं, लेकिन तुमने मुझे प्रसन्न कर दिया।
यमराज ने आगे उस व्यक्ति से कहा कि मैं तुम्हें एक अवसर देना चाहता हूं। ये लो मेरी किताब । मैं तुम्हें अवसर देता हूं की तुम इस किताब मे जो लिखोगे वो सच हो जाएगा। तुम चाहो तो अपनी मृत्यु को टाल दो, तुम चाहो तो खुद को धनवान बना लो, जो चाहिए इसमें लिख लो और वो हो जाएगा। इसमें तुम्हारे नाम का एक पन्ना है उसमें जो जो लिखते जाओगे वैसा वैसा होता जाएगा। हालांकि बस इस बात का ध्यान रहे की तुम्हारे पास वक्त बहुत कम है। अब इसी कम समय में तुम्हें अपना भाग्य बदलना है।
दूसरों का बूरा चाहने वाला खुश नहीं रहता
युवक बहुत प्रसन्न हुआ औऱ पुस्तक हाथ में लीं। पन्ना खोला तो देखा की उसके दोस्त के बारे में लिखा था कि उसे खजाना मिलने वाला है। युवक के मन मे जलन की भावना आ गई। उसने लिख दिया की उसके दोस्त को खजाना ना मिलें। दूसरे पन्ने पर लिखा था कि पड़ोसी को नौकरी मिलने वाली है। उसे फिर बर्दाश्त नहीं हुआ औऱ उसने लिख दिया की वो इंटरव्यू में फेल हो जाए। इस तरह से वो आस पास के लोगों के बारे में लिखता रहा। जैसे ही उसका पन्ना आया वो लिखने लगा तभी समय समाप्त हो गया।
यमराज ने उससे पुस्तक ले ली और कहा कि अब तुम्हारा वक्त खत्म अब तुम मेरे साथ चलो। युवक रोने लगा औऱ कहा कि मुझे थोड़ा और समय दे दो। यमराज ने कहा कि तुम्हारे पास पर्याप्त समय था तुम चाहते तो बहुत कुछ बदल सकते थे, लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया। तुम दूसरों से जलते रहे औऱ अपनी बर्बादी कर बैठे।
ऐसे में हम ये जान सकते हैं कि जब हमें मौका मिलें हमें दूसरों को बिगाड़ने के लिए खुद को निखारने का काम करना चाहिए। जो व्यक्ति दूसरों का बूरा चाहता है वो खुद का अच्छा कर ही नहीं सकता। हमें कभी भी दूसरों का बूरा नहीं सोचना चाहिए। हमें खुद को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए।
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