Interesting

मात्र 50 रुपये खर्च करके बनाया जाता है 1000 रुपये का नकली दूध, लेक्टोमीटर भी नहीं कर पाता पहचान

आज के समय में हर इंसान किसी ना किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या से परेशान है ऐसा इसलिए क्योंकि वे जो खाद्य पदार्थ अपने शरीर में लेते हैं वो शुद्ध नहीं रह गया. अब इन खाद्य पदार्थों में सरसों का तेल हो, सब्जियां या फल हो या फिर दूध हो कुछ भी आजकल शुद्ध नहीं आ रहा है. अगर हम सिर्फ बात दूध की करें तो लोग दूध कई तरह से ग्रहण करते हैं जिसमें चाय, कॉफी, दही, मिठाई या फिर कैल्शियम के तौर पर खाली दूध होता है. मगर क्या आप जानते हैं कि जो दूध आपके पास आता है वो सही रूप में शुद्ध है या फिर मिलावटों से भरा हुआ है ? क्योंकि हम एक ऐसी जगह की बात करने जा रहे हैं जहां पर मात्र 50 रुपये खर्च करके बनाया जाता है 1000 रुपये का नकली दूध, और इस मिलावटी दूध को लेक्टोमीटर में असली-नकली नहीं बता पाता.

मात्र 50 रुपये खर्च करके बनाया जाता है 1000 रुपये का नकली दूध

दूध में पानी मिलाने, यूरिया और फार्मोलिन डालकर बेचने का फॉर्मुला तो आपने सुना ही होगा लेकिन अब दूध व्यापारी नकली दूध बनाकर उसे असली दूध में मिलाकर बेधड़क मार्केट में बेच रहे हैं. यह नकली दूध सैंपू, रिफाइन, ग्लूकोज और फैब्रिक्स कलर के मिश्रण से बनाया जाता है जो दूध को बिल्कुल असली बना देता है और इसे बनाने में लागत सिर्फ 50 रुपये की आती है. इसकी पुष्टि तब हुई जब इसे विक्रमशिला दुग्ध डेयरी (सुधा) के प्लांट में लैक्टोमीटर पर चेक किया गया जिसमें अमूमन 3.0 स्केल आने पर दूध शुद्ध माना जाता है लेकिन जब मिलावटी दूध को लैक्टोमीटर पर मापा गया तब इसका 4.0 स्केल आया. दूध को शुद्ध माना गया और इस थोड़े से असली दूध में मिलाकर बिहार और झारखंड में आसानी से बेचा जाता है. बिहार-झारखंड के बॉर्डर पर नदी किनारे का बकिया गांव हैं जहां पर नकली दूध बनाया जाता है. यहां पर बहुत सारे दूध कारोबारी हैं, वे असली दूध में हिसाब से नकली दूध का मिश्रण करते हैं और नाव, ट्रेन व साइकिल से दूर के इलाकों में बेचते हैं.

दाम कम होने के कारण इस दूध की सबसे खपत चाय और मिठाई की दुकानों में होती है. भागलपुर के एक दुकानदार ने बताया कि नकली दूध के कारोबारी उसके यहां से सैंपू, रिफाइन, ग्लूकोज और फैब्रिक्स कलर खरीद कर नकली दूध बनाया जाता है. इसके बाद एक अखबार की टीम बकिया गांव पहुंची और कारोबारी राधे यादव से बात की. उसने पहचान छुपाने की शर्त पर नकली दूध के पूरे फॉर्मूले को बताया था.

इन दो फॉर्मूलों से बनता है नकली दूध

पहले ऊनी कपड़े धोने की लिक्विड ईजी को साफ बरतन में रिफाइन के साथ मिलाया जाता है और फिर ग्लूकोज डाला जाता है. दो से चार मिनट के मिश्रण के बाद पानी मिलाया जाता है. फिर फैब्रिक्स डालकर सफेद कलक को बिल्कुल दूध जैसा बनाया जाता है. 10 मिनट में नकली दूध तैयार होता है और 100 लीटर दूध में 20 लीटर नकली दूध मिलाया जाता है और इस दूध को बनाने में तीन से चार लोग शामिल होते हैं. पहले फॉर्मूले में बड़े बर्तन में शैंपू डालकर उसमें आधा लीटर रिफाइंड ऑयल मिलाया जाता है, फिर आधा लीटर असली दूध डाला जाता है. इसके बाद गाढ़ा करने के लिए चीनी का बुरादा और एक बाल्टी पानी मिलाया जाता है और इससे उतनी ही घी या खोआ मिलता है. इसके दूसरे फॉर्मूले में ईजी लिक्विड में सिंघारे का आटा और रिफाइन ऑयल मिलाया जाता है, फिर खाने का सोडा, मिल्क पाउडर, ग्लूकोज और थोड़ी सी इलाइची का पानी मिलाया जाता है.

Back to top button