चीन ने एक बार फिर ‘वीटो’ पावर का इस्तेमाल कर मसूद अजहर को वैश्विकआतंकी घोषित होने से बचाया
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को एक बार फिर से चीन देश ने बचा लिया है और इस आतंकवादी का नाम वैश्विक आतंकियों की लिस्ट में शामिल नहीं होने दिया है। भारत की और से 10 सालों से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकियों की लिस्ट में शामिल करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन हर बार चीन अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल कर इस आतंकवादी को बचा लेते हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस बार मसूद अजहर के खिलाफ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ये प्रस्ताव लेकर आए थे। लेकिन ऐन मौके पर चीन ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल कर दिया और इस प्रस्ताव को गिरा दिया।
चार बार मसूद को बचा है चीन ने
भारत कई सालों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग कर रहा है। लेकिन हर बार भारत इसमें असफल हो जाता है। क्योंकि जब भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव आता है तो चीन अपने वीटों पावर का इस्तेमाल कर देते है। भारत ने अभी तक चार बार मसूद अजहर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसे आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा है। मगर हर बार चीन ने भारत का साथ नहीं दिया है। भारत ने सबसे पहले साल 2009 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव रखा था और उस वक्त चीन ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल कर दिया था. वहीं साल 2016, 2017 और 2019 में फिर से इस प्रस्ताव को रखा गया था और फिर से चीन ने इस प्रस्ताव को पारित नहीं होने दिया।
आखिर क्यों किया चीन ने ऐसा
चीन के मुताबिक मसूद के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं है और इसलिए वो ऐसा कर रहा। मगर सच्चाई ये है कि चीन की और से हर बार पाकिस्तान देश का साथ दिया जाता है। चीन को पता है कि अगर वो मसूद के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे देता है, तो ये भारत की बहुत बड़ी जीत होगा और पाकिस्तान की काफी बदमानी दुनिया भर में हो जाएगी। इसलिए पाकिस्तान को बचाने के लिए हर बार ये देश अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल कर देते है।
क्या होता है ‘वीटो’ पावर?
‘वीटो’ शब्द लैटिन भाषा का एक शब्द है जिसके मतलब किसी भी चीज पर असहमति जताना है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच देशों के पास ये पावर है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं, जिनमें से 5 सदस्य देशों इसके स्थाई सदस्य हैं और इन्हीं पांच देशों के पास वीटो की पावर का अधिकार हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्य में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस देश शामिल हैं। अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कोई प्रस्ताव लाया जाता है और इन पांच स्थाई सदस्य देशों में से कोई भी एक देश उस प्रस्ताव के खिलाफ अपनी वीटो पावर का प्रयोग कर देते हैं, तो वो प्रस्ताव वहीं पर गिर जाता है। यानी मतलब साफ है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रस्ताव को पास करवाने के लिए इसके सभी पांचों स्थाई देशों की सहमति की जरूरत होती है और अगर एक भी देश किसी भी प्रस्ताव से सहमत नहीं होता है तो वो प्रस्ताव वहां पर ही गिरा जाता है और वो पारित नहीं हो पाता है।