बंगाल सांप्रदायिक दंगाः रिपोटिंग करने पर ममता सरकार ने किया “जी न्यूज़ के सुधीर चौधरी पर FIR”
नई दिल्ली – पश्चिम बंगाल पुलिस ने ईद-उल-नबी के अवसर पर धूलागढ़ में सांप्रदायिक दंगों की रिपोर्टिंग करने पर ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी, संवाददाता पूजा मेहता और कैमरामैन तन्मय मुखर्जी के खिलाफ गैर जमानती धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया है। मीडिया रिपोट्स के अनुसार, इस एफआईआर का कारण पश्चिम बंगाल के धुलागढ़ में सांप्रदायिक दंगों की सुधीर चौधरी द्वारा रिपोर्टिंग गैर-जिम्मेदाराना तरीके से बताया गया है। FIR 153(A) जैसी गैर जमानती धाराओं में पंजीकृत किया गया है। FIR on Sudhir Chaudhary.
.@MamataOfficial Govt files FIR against me& @ZeeNews reporter for covering #DhulagarhRiots with Non Bailable sections.FIR for showing truth?
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) December 27, 2016
मीडिया की आजादी पर ममता की पाबंदी –
अगर आपको अभी तक पता न हो तो हम आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में दंगे भड़के हुए हैं, जिसकी शुरुआत 12 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना ज़िले से हुई, जहां कथित तौर पर मुहर्रम के जुलूस में बम फेंका गया और हिंसक भीड़ ने हिंदुओं के घरों को जला दिया और हिंसे की आग 5 ज़िलों में फैल गई। पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना, हावड़ा, पश्चिमी मिदनापुर, हुगली और मालदा जिले अभी भी हिंसाग्रस्त हैं।
लेकिन इस पूरे मामले पर मिडिया की खामोशी हजारों सवाल उठाती है। धार्मिक चश्मा पहनकर संपादकीय फैसले लेना अब हमारे देश के तमाम बुद्धिजीवी पत्रकारों का ट्रेंड बन गया है। ऐसे में पश्चिम बंगाल के धुलागढ़ दंगों का सच दिखाने के लिए जी न्यूज रिपोर्टरों और जी न्यूज के मुख्य संपादक सुधीर चौधरी के खिलाफ सूबे की पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। एफआईआर भी ऐसी धाराओं के तहत किया गया है जिसमें गैरजमानती वारंट जारी होता है। निश्चित तौर पर यह प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया की आजादी पर हमले के तौर पर देखा जा रहा है।
मीडिया नहीं दिखा रहा यह ख़बर –
वर्ष 2002 गुजरात दंगा, वर्ष 2014 मुजफ्फरनगर दंगा और वर्ष 2015 में दादरी हत्याकांड के विरोध में पूरा देश एक जुट दिखाई दिया। सबको इन दंगों में पीडित लोगों का दर्द दिखा। अवॉर्ड वापसी की मुहिम हो या फिर असहनशीलता पर विवाद देश के हर कोने में इसकी गूंज सुनाई दी। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि देश कि बुद्धिजीवी मीडिया को सिर्फ गुजरात और दादरी के दंगे ही दिखाई देते हैं। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में गत रविवार को हुई हिंसक झड़प पर सारा देश चुप है और बुद्धिजीवी मीडिया को तो सांप सुंघ गया है।
हमारे देश के सेक्यूलर मीडिया को बस दंगों में मुस्लिमों के दर्द ही दिखाई देते हैं। न तो वे मुज़फरनगर पर खुलकर कुछ बोलते हैं न तो पश्चिम बंगाल पर। उन्हें तो बस गुजरात और दादरी में हुए दंगों में विशेष समुदाय का दर्द ही दिखाई देता है। ऐसे में जब सुधिर चौधरी जैसे पत्रकार पश्चिम बंगाल दंगों का सच दिखान कि कोशिश कर रहे हैं उन पर एफआईआर करना वाकई में एक गिरा हुआ कदम है।