मुगले-आजम बनाने वाले निर्देशक के. आसिफ को आखिर क्यों सनकी और पागल कहते थे लोग
हिंदी सिनेमा में आज निर्देशक पर्दे के सामने आने लगे हैं औऱ उनका रुतबा किसी सेलिब्रिटी एक्टर से कम नहीं होता है। हालांकि पहले के समय निर्देशक निर्माता ना ही पर्दे के सामने इतना आया करते थे और ना ही उनके बारे में लोग ज्यादा जान पाया करते थे। एक दौर में टॉप पर रहने वाले के.आसिफ भी ऐसे निर्देशक औऱ निर्माता थे जिनका नाम तो बहुत था, लेकिन लोग उन्हें पागल समझा करते थे। ऐसा माना जाता था कि वो सनकी जिद्दी थे। उनकी सनक ने ही हिंदी सिनेमा को वो प्रेम गाथा दी जो हमेशा के लिए अमर हो गई वो फिल्म थी मुगले आजम और इसे बनाने वाला वहीं निर्देशक था जिसे लोग पागल कहते थे।
14 साल में बनाई थी मुगले-आजम
आसिफ के बारे में कहा जाता था कि जो बात वो एक बार सोच लेते थे उसे पूरा करके ही दम लेते थे। ये ही वजह थी की फिल्म मुगले आजम को पूरा करने में उन्हें 14 साल लग गए थे, लेकिन तमाम मुश्किलों के बाद भी उन्होंने फिल्म का साथ नहीं छोड़ा और उसे पूरा किया। फिल्म की सेट काफी भव्य था और कलाकार दिग्गज इसके बाद भी फिल्म ने रिलीज होते ही ज्यादा सुर्खियां नहीं बटोरी औऱ ये के.आसिफ के लिए सदमे जैसी बात थी।
के आसिफ तनाव में रहने लगे थे। फिल्म के निर्माण के लिए उन्होंने कई लोगों से पैसे उधार ले लिए थे। 9 मार्च 1971 में उनका निधन हो गया था। रिलीज होने के बाद भी फिल्म को वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली थी जैसा के आसिफ चाहते थे और इसी सदमें से उन्हें दिल का दौरा पड़ गया ,था। उनका निधन हुआ और उसके बाद ये फिल्म सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पाकिस्तान इटली, जापान, अमेरिका, श्रीलंका जैसे कई देशों में रिलीज हो गई और डेढ़ करोड़ में बनी इस फिल्म ने सालों में करोड़ों रुपए कमाए, लेकिन के आसिफ ये सब देख नहीं पाए।
प्यार किया तो डरना क्या ऐसे हुआ था शूट
ये पूरी फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट में बनी थी सिर्फ इसका आखिरी गाना जब प्यार किया तो डरना… क्या रंगीन बनाई गई थी। इस गाने को एकलौता शूट करने में 10 लाख रुपए खर्च किए गए थे। उस दौर में ये रकम बहुत ज्यादा हुआ करती थी। इस गाने को एक बार में ही नहीं फिल्माया गया था। करीब 105 गानों को रिजेक्ट करने के बाद नौशाद साहब ने ये ये गाना चुना था।
इस गाने को लता मंगेशकर ने स्टूडियो के बाथरुम में जाकर गाया था। दरअसल उस समय वो उनसे धुन बन नहीं पा रही थी। जब उन्होंने ये गाना गया तो ये बेहतरीन गानों में से एक बन गया। उसी फिल्म के एक गाने ए मोहब्बत जिंदाबाद के लिए मोहम्मद रफी के साथ 100 गायकों का कोरस गवाया था। इस फिल्म बनाने को लिए हर छोटी चीज पर गौर किया गया ताकी ये बेहतरीन फिल्म बन सके।
इस फिल्म में दिलीप और मधुबाला की कैमेस्ट्री ने पर्दे पर आग लगा दी थी। उनके प्यार में दर्शक डूब गए औऱ असल जिंदगी में भी दिलीप और मधुबाला करीब आ गए थे। भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक मुगले- आजम को माना जाता है। इस फिल्म को बनाने वाला और इसमें अपना योगदान देने वाला हर शख्स इस फिल्म के साथ अमर हो गया।
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