इस देश में होती है कबूतरों की रेस, जिसमें 65 लाख से अधिक की कीमत पर बिका एक कबूतर
कई देशों में हर साल पशु या पक्षियों की रेस का आयोजन किया जाता है और ये रेस जीतने वाले पशु या पक्षियों के मालिकों को इनाम के तौर पर मोटी राशि भी दी जाती है। इसी तरह की एक रेस इराक में हर साल आयोजित होती है जिसमें कबूतरों के बीच मुकाबला करवाया जाता है। ये रेस 14 हजार से अधिक कबूतरों के बीच करवाई जाती है। कबूतरों के बीच होने वाली ये रेस इस देश में काफी प्रसिद्ध है और इस रेस में भाग लेने के लिए कबूतरों के मालिक दूर दूर से आते हैं। वहीं इस रेस में हिस्सा लेने वाले कबूतरों की सुरक्षा का भी खासा इंतजाम किया जाता है। क्योंकि कई बार इन कबूतरों का अपहरण तक कर लिया जाता है और फिर इनके मालिक से फिरौती मांगी जाती है।
कब होती है ये रेस
इराक में इस रेस का आयोजन बगदाद से लगभग 100 मील स्थित एक बड़े से मैदान में करवाया जाता है और इस रेस का आमतौर पर आयोजन अक्टूबर से मार्च के बीच में होता है। इस रेस में भाग लेने के लिए इराक देश के हर कोने से लोग आते हैं और रेस वाली जगह पर एक मेला सा लग जाता है। इस रेस में लाए गए कबूतरों को उनके मालिक इस रेस के शुरू होने से छह महीने पहले ही ट्रेनिंग देना शुरू कर देते हैं। इस ट्रेनिंग के दौरान कबूतरों को कई घंटों तक उड़ाया जाता है। साथ में उनको विशेष तरह के दाने खाने को भी दिए जाते हैं ताकि वो अच्छे से उड़ सकें। इनको ताकतवर बनाने के लिए इन्हें विटामिन, हर्बल चाय और ओमेगा-3 से भरपूर खाना दिया जाता। इनको दिए जाने वाले इस खाने की कीमत 7,000 से अधिक रुपये की होती है।
65 लाख में बिका था कबूतर
आप सोच रहें होंगे की आखिर क्यों इनको ये रसे जीतने के लिए इतनी कड़ी ट्रेनिंग और इतना महंगा खान दिया जाता है। दरअसल इस रेस में जो कबूतर जीतता है उसके दाम एकदम से बढ़ जाते हैं। इस रेस को जीतने वाले एक कबूतर को कुछ वक्त पहले 65 लाख रुपये से अधिक में बेचा गया था। साथ में ही इस रेस में हिस्सा लेने वाले कबूतरों में से जो कबूतर जीतता है उसके मालिक को 3 लाख के करीब की इनाम राशि भी दी जाती है। यानी साफ है कि ये कबूतर अपने मालिक को एकदम से माला माल बना देते हैं।
इस रेस में भाग लेने के लिए जो लोगों अपने कबूतरों को लाते हैं वो पेशेवर लोग होते हैं। इस रेस में काफी पढ़े लिखे लोग भाग लेते हैं। ये लोग शौक के तौर पर इनको पालते हैं और फिर उनको रेस में हिस्सा लेने के लिए तैयार करते हैं। इस रेस में भाग लेने के लिए आए लोगों में से अधिकतर लोग डॉक्टर, सेना के अधिकारी, इंजीनियर, व्यापारी और इत्यादि पेशे से नाता रखते हैं।
कैसे पता चलता है कि कौन जीता रेस
एक साथ हवा में करीब 14 हजार कबूतरों को उड़ाया जाता है और ऐसे में ये पता करना की कौन सा कबूतर जीता है ये काफी मुश्किल काम है। इस रेस के नियमों के अनुसार कबूतरों को रेस में उड़ाने से पहले उनके पैरों पर एक आधा नोट बांधा जाता है और फिर उनको उड़ा दिया जाता। जिसके बाद उस कबूतर का मालिक उसका इंतजार अपने घर पर करता है और जैसे ही वो कबूतर अपने मालिक के पास आ जाता है तो उसका मालिक बिना किसी देरी के उस कबूतर के पैरों में बांधा गया नोट लेकर प्रतियोगिता के जज के पास जाता है और जज उस नोट को उसके आधे हिस्से से जोड़ता हैं।
जो भी कबूतर का मालिक पहले आकर नोट देता है और उसका नोट अगर सही से जुड़ जाता है तो उसका कबूतर ये रेस जीत जाता है। ये रेस इस देश में इतनी फेमस हो गई है कि इस देश में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी नौकरी को छोड़कर कबूतर क्लब चलना शुरू कर दिया है। इस क्लब में कबूतरों को बेहतरीन डाइट और ट्रेनिंग कैसे दी जाए इस तरह की जानकारी लोगों को दी जाती है।
किया जाता है कबूतरों का अपहरण
इस रेस में भाग लेने वाले कबूतरों का अपहरण भी खूब किया जाता है। दरअसल जब इन कबूतरों के मालिक इनको ट्रेनिंग देने के लिए उड़ाते हैं तो उस समय इन कबूतरों को गांव के लोग पकड़ लेते हैं और फिर इनके मालिक को फोन कर उनसे लगभग 2 हजार रुपये की फिरौती की मांग करते हैं। इसलिए कबूतर के मालिक अपने कबूतरों का खासा ध्यान रखते हैं।