जानें पाकिस्तान की किताबों में बच्चों को इतिहास के बारें क्या बताया जाता है
न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच किस तरह के ताल्लुकात हैं। हाल ही में भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों के बीच काफी तवान पूर्ण माहौल चल रहा है। दोनों ही देश की मीडिया एक-दूसरे पर तमाम तरह के इल्जाम लगा रहे हैं। 200 सालों तक अंग्रेजों की गुलामी में रहने के बाद भारत और पाकिस्तान करीब 71 साल पहले आजाद हुए थे। लेकिन उसके पहले दोनों एक ही मुल्क थे। तो यकीनन सी बात है कि आजादी के पहले दोनों के इतिहास भी एक रहे होंगे। लेकिन आपको ये बात जानकर हैरानी होगी भले ही दोनों देशों का इतिहास एक रहा हो लेकिन दोनों देश के बच्चे अलग-अलग इतिहास पढ़ते हैं। तो चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर विभाजन, स्वतंत्रता आंदोलन, भारत-पाक के बीच हुए युद्ध के बारे में पाकिस्तान में क्या पढ़ाया जाता है…
बात जब कश्मीर की आती है तो बारत और पाकिस्तान दोनों ही जगह उसके बारे में अलग जानकारी दी जाती है।भारत की किताबों में कश्मीर को लेकर पढ़ाया जाता है कि कश्मीर के राजा हरि सिंह पहले किसी भी देश के साथ नहीं रहना चाहते थे वो अपना अलग ही साम्राज्य चाहते थे। लेकिन जब घुसपैठियों ने कश्मीर पर हमला करना शुरू कर दिया तब हरि सिंह ने भारत में शामिल होने का फैसला ले लिया है। लेकिन वहीं पाकिस्तानी किताबों की बात करें तो उसमें पढ़ाया जाता है कि हरि सिंह ने मुसलमानों के साथ गलत व्यवहार किया जिसके बाद कुछ लड़ाकों ने कश्मीर के बड़े हिस्से को आजाद करवा लिया था, जिसके बाद हरि सिंह नें भारत के साथ मिलने का फैसला लिया।
विभाजन को लेकर पाकिस्तानी किताबों में बताया गया है कि दो देशों के विभाजन में हिंदुओं की गलती थी, उनकी गलत हरकतों की वजह से यह विभाजन हुआ था। किताब में लिखा है कि विभाजन के समय जब लोग पाकिस्तान छोड़कर भारत जा रहे थे तब वहां के मुस्लिमों ने उनकी मदद की थी, जबकि वहीं जो मुस्लिम पाकिस्तान से भारत आ रहे थे तो वहां पर मुसलमानों को लूटा जा रहा था और उन पर अत्याचार किए जा रहे थे।
वहीं विभाजन को लेकर पाकिस्तान की 12वीं कक्षा की एक किताब में लिखा है कि जब दोनों देश आजाद हुए तब मुस्लिम चाहते थे कि उस वक्त एक ऐसी सरकार का गठन किया जाए जो पबरी तरह से इस्लाम (कुरान) के नियमों पर बेस्ड हो। हालांकि वो जानते थे कि भारत में हिंदुओं की संख्या ज्यादा है, इसलिए वहां पर हिंदुओं को ध्यान में रखते हुए ही कानून बनेंगे और इस कानून में मुस्लिम को अछूत की नजर से देखा जाएगा, साथ ही मुसलमानों को डर था कि कहीं मुसलमान हिंदुओं के गुलाम न बन जाएं।
जैसा की सब जानते हैं कि भारत का स्वतंत्रता में महात्मा गांधी का योगदान काफी महत्वपूर्ण रहा था। जहां भारत की किताबों में इस बारे में बताया गया है महात्मा गांधी देश की आजादी और भारत के एकीकरण के पक्ष में थे, लेकिन मुस्लिम लीग की मांग के बाद पाकिस्तान का जन्म हुआ। वहीं पाकिस्तान की किताबों में महात्मा गांधी के बारे में इतना कुछ नहीं बताया गया है। वहां की किताबों में लिखा है कि मुस्लिम लीग मुसलमानों के आत्मसम्मान और उन्हें स्वतंत्रता दिलाए जाने के लिए लड़ी। महात्मा गांधी का उसमें कोई खास योगदान नहीं था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से चलाए गए जन आन्दोलन में से एक था। बता दें कि इस आंदोलन की शुरूआत महात्मा गांधी ने ही की थी। बता दें कि ये वहीं आंदोलन था जिसके चलते ब्रिटिश सरकार के बनाए गए कानूनों का बहिष्कार किया गया था। लेकिन पाकिस्तान की किताबों में सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34) की कोई जानकारी नहीं दी गई है।