हम अपनी समस्याओं का ठीकरा फोड़ना जानते हैं, जबकि उसका समाधान हमारे पास ही होता है, पढ़ें कहानी
हम मनुष्यो की आदत होती है की जब भी हमारे सामने मुसीबत आती है तो हम उसका समाधान निकालने के बारे में नहीं सोचते बल्कि उस व्यक्ति को ही कोसते रहते हैं जिसकी वजह से परेशानी हुई। कोई भी काम मन लायक ना हो तो सामने वाले के ऊपर सारा गुस्सा निकाल देते हैं। हम ये नहीं सोचते की अगर समस्या आ ही गई है तो क्यों ना इसका ठीकरा किसी पर फोड़ने से बेहतर है कि हम उसका समाधान करें। मानव जीवन में हमेशा समस्याएं आती रहती हैं, लेकिन कई बार उन समस्याओं से बाहर निकलने का अवसर अपने साथ सफलता ले आता है। आपको ये बात एक कहानी के रुप में समझाते हैं।
राजा ने रास्ते पर पत्थर रख दिया
एक राज्य में बहुत ही भले राजा थे। वो अपने राज्य को विकसित राज्य बनाना चाहते थे और हमेशा अपनी प्रजा की सेवा में तत्पर रहते थे। जनता को क्या तकलीफ है ये जानने के लिए उन्हें जनता के बीच होना जरुरी था। राजा ने एक बार अपनी जानता के बारे में औऱ उनकी सोच के बारे में जानने के लिए रास्ते में एक ब़ड़ा सा पत्थर रख दिया और पास की झाड़ी में छुप गए।
राजा ने देखा कि लोग आस पास से पत्थर से होते हुए गुजर रहे थे। गाड़ी निकालने में दिक्कत हो रही है उसके बाद भी किसी तरह गाड़ी निकालते हुए जा रहे थे और साथ ही राजा को कोस भी रहे थे। आने जाने वाले कह रहे थे कि राजा को तो प्रजा का ख्याल ही नहीं है। इतना बड़ा पत्थर रखा है और लोगों को तकलीफ हो रही है, लेकिन किसी को कोई सुध नहीं हैं।
राजा ने देखा की हर कोई उनकी व्यवस्था औऱ सेवा पर सवाल उठा रहा है, लेकिन पत्थर के बगल से गुजर जा रहा है। इसके बाद राजा की नजर एक किसान पर पड़ी। उन्होंने देखा कि एक किसान पत्थर को हटाने की कोशिश कर रहा है। पत्थर बेहद भारी था, लेकिन भारीपन की परवाह किए बिना ही वो किसान उसे हटाने लगा। इसके बाद उसे ऐसा प्रयास करते देख औऱ लोग भी वहां इक्ट्ठे हो गए औऱ रास्ते में से पत्थर हटाने लगे। धीरे धीरे सबके प्रयास से पत्थर रास्ते से हट गया।
इसलिए राजा ने किसान को लगा लिया गले
किसान अपना काम करके जैसे ही आगे बढ़ा राजा पीछे से बाहर निकले और किसान को गले लगा लिया। उन्होंने कहा- हे अन्नदाता, रास्ते से इतने लोग गुजरे, लेकिन किसी ने इस समस्या का समाधान ना किया और आपने इसे हटाने का प्रयत्न किया। ये लिजिए सोनी की थैली और मैं कामना करता हूं कि अगर मेरे राज्य में आधी जनता भी आपकी तरह हो जाए तो रामराज्य यहां स्थापित हो जाएगा। किसान ने राजा को प्रणाम किया और अपने रास्ते पर चला गया।
इस बात से हमें ये सिखने को मिलता है कि पत्थर की तरह समस्याएं हमारे जीवन में आ जाती हैं और हम सिर्फ राहगीर की तरह किसी राजा को वो दोष देते फिरते हैं। अगर हम किसान की तरह बिना किसी को दोष दिए सिर्फ अपनी समस्या का समाधान करेंगे तो समस्या खत्म हो ही जाएगी। इसके लिए अपना ध्यान सिर्फ समस्या हटाने पर रखना चाहिए।
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