‘अग्नि-5’ मिसाइल का परीक्षण सफल – भारत के निशाने पर होगी पाक-चीन समेत आधी दुनिया!
बालेश्वर/नई दिल्ली – भारत ने आज अंतर से सतह तक मार करने में सक्षम और परमाणु क्षमता से लैस स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-5’ का ओड़िशा तट से दूर व्हीलर द्वीप से सोमवार को सफल परीक्षण किया। अग्नि-5 मिसाइल का ये चौथा परीक्षण है। भारत की अंतरमहाद्वीपीय और परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-5’ की मारक क्षमता लगभग 6000 किलोमीटर है। Agni 5 missile test.
‘अग्नि-5’ मिसाइल की खास बातें –
‘अग्नि-5’ मिसाइल लगभग 6000 किलोमीटर तक कि दूरी के लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। यह एक टन से अधिक वजन के परमाणु आयुध को ले जा सकती है और इससे यूरोप को भी निशाना बनाया जा सकता है। अग्नि श्रृंखला की अन्य मिसाइलों के अलग ‘अग्नि-5’ सबसे आधुनिक मिसाइल है। भारत के पास फिलहाल अग्नि 1, अग्नि 2, अग्नि 3, अग्नि 4 मिसाइल हैं और ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी हैं। अग्नि 1 की रेंज 700 किलोमीटर, अग्नि 2 की रेंज 2000 किलोमीटर, अग्नि 3 और अग्नि 4 की रेंज 2500 किलोमीटर से 3500 किलोमीटर तक है।
आज ‘अग्नि-5’ मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत 5000 किलो मीटर की मारक क्षमता की मिसाइल रखने वाला अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन के बाद पांचवां देश हो गया है।
सिर्फ 20 मिनट में बीजिंग को बना सकती है निशाना –
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के व्हीलर आइलैंड पर इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का परीक्षण किया। इस मिसाइल के दायरे में चीन के आने की वजह से इस परिक्षण को रणनीतिक तौर पर बेहद खास माना जा रहा है। न केवल पाकिस्तान या चीन इसकी रेंज में आ गए हैं बल्कि इस मिसाइल से यूरोप तक को निशाना बनाया सकता है। ये मिसाइल आईसीबीएम तकनीक पर आधारित है जो इससे पहले केवल अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के पास थी।
जानें, क्यों खतरनाक है अग्नि-5 मिसाइल –
इस मिसाइल को डीआरडीओ ने 4 साल में बनाया है जिसकी लागत करीब 50 करोड़ रुपए है। सिर्फ 20 मिनट में यह मिसाइल चीन और यूरोप के सभी ठिकानों पर पहुंच सकती है इसके अलावा अग्नि-5 दुश्मनों के सैटेलाइट नष्ट करने में भी उपयोगी है। जिससे यह काफी खतरनाक मानी जा रही है। आपको बता दें कि इस मिसाइल को सिर्फ प्रधानमंत्री के आदेश के बाद ही छोड़ा जा सकता है। गौरतलब है कि भारत का उद्देश्य 48 देशों के न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) का हिस्सा बनना है। इसी के मद्देनजर भारत ने कूटनीतिक तरीके से इस ओर अपना कदम बढ़ाया है। आपको बता दें कि इसी साल चीन ने भारत के एनएसजी का सदस्य बनने की राह को रोका दिया था।