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इस गुरुद्वारे में नहीं बनता है लंगर का खाना, फिर भी कोई भूखा नहीं जाता

हर गुरुद्वारे में तीनों वक्त लंगर जरूर लगता है और इस लंगर के जरिए हजारों लोगों को फ्री में खाना खिलाया जाता है। लेकिन पंजाब राज्य में एक ऐसा गुरुद्वारा है जहां पर लंगर का खाना नहीं बनता है। लेकिन फिर भी यहां पर आने वाले लोगों को पेट भर खाना खिलाया जाता है। जी हां, बिना लंगर का खाना बने हुए भी इस गुरुद्वारे में आए भक्त खाली पेट अपने घर नहीं जाते हैं। दरअसल चंडीगढ़ के सेक्टर-28 में बनें नानकसर नामक इस गुरूद्वारे में लंगर का खाना बाहर से आता है और खाना लोग अपने घरों से लाते हैं। ये पहला ऐसा गुरुद्वारा है जहां पर लोग अपने घर से खाना बनाकर यहां पर लाते हैं और फिर लोगों को बांटते हैं।

खाने में दिए जाते हैं पराठें

गुरुद्वारा नानकसर में लोग अपने घर से कई कई तरह की खाने की चीजें बनाकर लाते हैं और लंगर के दौरान लोगों को खाने में देसी घी के पराठें, दाल,चावल, मिठाई, रोटी, दही और इत्यादि तरह की चीजे दी जाती हैं। ये लंगर इस गुरूद्वारे में दिन में तीन बार लगता है और इन तीनों बार इस लंगर में लोगों द्वारा लाया गया ही खाना लोगों को दिया जाता है। वहीं लंगर खत्म होने के बाद जो खाना बच जाता है उस खाने को चंडीगढ़ में बने अस्पतालों में पहुंचाया जाता है ताकि वहां पर आए मरीज लोगों के परिवार वालों को ये खाने दिया जा सके।

दो महीने तक करना पड़ता है इंतजार

इस गुरुद्वारे में कई लोगों ने अपना नाम लिखवा रखा है, जो कि लंगर के लिए खाना अपने घर से लाते हैं और इन लोगों की संख्या इतनी अधिक है कि लोगों को अपना नंबर आने के लिए दो महीनों तक का इंतजार करना पड़ता है। इस गुरुद्वारे की मैनेजमेंट द्वारा ये तय किया जाता है कि किस दिन किस का नंबर लगना है। वहीं जिसका नंंबर आता है वो व्यक्ति खाना लेकर आता हैं और फिर उसको बांटते हैं। एक साथ कई लोगों को खाना लाने की जिम्मेदारी दी जाती है।

50 साल पूराना है ये गुरुद्वारा

गुरुद्वारा नानकसर को दीपावली के दिन बनाया गया था और इस गुरुद्वारे को बनें 50 साल से अधिक हो गए हैं। ये गुरुद्वारा काफी बड़े एरिया में बना हैं और इस गुरुद्वारा में 30 लेकर 40 लोगों काम करते हैं। ये गुरुद्वारा इतना प्रसिद्ध है कि इस गुरुद्वारे में हर साल होने वाले वार्षिक उत्सव में दूसरे देशों से भी लोग आते हैं। एक हफ्ते तक चलने वाले इस उत्सव में कनाडा, अमेरिका, जर्मनी जैसे देशों से लोग आया करते हैं। इस उत्सव के दौरान रक्तदान का शिविर भी लगाया जाता है और गुरुद्वारे में आने वाले लोगों का मुफ्त में दांतों का इलाज भी किया जाता है। इस गुरुद्वारे में हर रोज हजारों की संख्या में लोग आते हैं और यहां पर होने वाले कीर्तन में भाग लिया करते हैं। ये कीर्तन दो समय किया जाता है जो कि हर रोज सुबह सात बजे से नौ बजे तक और शाम को पांच से रात नौ बजे तक किया जाता है।

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