बॉलीवुड एक्टर जीतेंद्र को जिंदगी भर रहेगा इस चीज का मलाल, अपने बच्चों को नहीं देख पाए….
न्यूज़ट्रेंड एंटरटेनमेंट डेस्क: बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता जितेंद्र कपूर अपने समय के जाने-माने अभिनेताओं में से एक थे। उनकी डांसिंग स्टाइल की दुनिया कायल थी। जितेंद्र ने जब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था तब यहां पर उनका कोई गॉड फादर नहीं था, जिस वजह से इस इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए उनको काफी स्ट्रगल करना पड़ा था। अपनी जिंदगी के किए गए इस संघर्ष और उसके बाद मिली सफलता ने जितेंद्र को उन ऊचाइयों पर पहुंचाया जहां पहुंचने का वो सपना देखते थे।
जीतेंद्र ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। आज वो जिस मुकाम पर हैं वहां पहुंचने के लिए उनको कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। जिस बात की उनको खुशी भी है लेकिन जितेंद्र मे बताया कि अपने संघर्ष से कामयाबी तक पहुंचने में उन्होंने बहुत से उतार-चढ़ाव देखे लेकिन उनको कभी दुख या परेशानी नहीं हुई लेकिन एक चीज का मलाल है जो उनको हमेशा रहेगा और वो है अपने बच्चों को लेकर। जीतेंद्र ने बताया कि उनको इस चीज का मलाल हमेशा रहेगा कि मुझे पता ही नहीं लगा की कब मेरे बच्चे इतने बड़े हो गए। मैं उनका बचपन ठीक से देख नहीं पाया। दोनों बड़े हुए खुद के बल पर कामयाबी हासिल की और फिर अपनी-अपनी जिंदगियों में मशरूफ हो गए। हालांकि, वे दोनों अपनी मसरूफियत के बाद भी घर पर पूरा वक्त देते हैं।
जितेंद्र मे कहा मैं समझता हूं कि व्यस्त रहना मेरे लिए इसलिए जरूरी था, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि जो परेशानियां और संघर्ष मैंने अपनी लाइफ में देखे वो मेरे बच्चे भी देखें। मैंने कभी भी किसी निर्देशक-निर्माता को अपने बेटे के लिए फिल्में बनाने के लिए नहीं कहां और ना ही कभी एकता की मदद की। दोनों अपने बल बूते आज अपने मुकाम पर पहुंचे हैं और उनकी कामयाबी देखकर मुझे काफी खुशी भी होती है। दोनों ने किस तरह से अपने जीवन में संघर्ष किया ये मैनें देखा है। खासकर, एकता को लेकर एक बात कहूंगा कि उसने अपना मुकाम पाने के लिए बहुत संघर्ष किया है।
एकता 17 साल की थी जब उसने अपनी कंपनी खोली, उस उम्र में जब सब बच्चे अपनी जिंदगी के मजे लेते हैं, उस उम्र में मेरी बेटी काम करने लगी थी। हालांकि उसको ऐसा करने के लिए उस पर कोई दबाव नहीं था वो भी औरों की तरह मौज-मस्ती करके अपनी लाइफ एंज्वाय कर सकती थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया अपने लिए एक अलग राह चुनी। पहले उसने एड फिल्ममेकर कैलाश सुंदरनाथ के साथ काम करके बारीकियां सीखीं और फिर बिना किसी बड़ी मदद के अपना मुकाम बनाया। जीतेंद्र ने बताया कि, मुझे याद है, उस समय मैं बहुत काम नहीं कर रहा था, तो मेरे पास जो भी पैसा था, वह मैंने एकता को उसकी कंपनी खोलने के लिए दे दिया। उस समय दूरदर्शन पर शोज आते थे। तब ऐसा था कि आपको बेहतरीन कंटेट बनाकर उसे बेचना है और आपके पास कुछ सेंकड होते थे, उसे बेचने के लिए। आपको एड मिले- न मिले यह भी था।
जब उसने अपनी कंपनी की शुरूआत की तो शुरू के दिनों में उसको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। कभी एड नहीं मिलते थे, तो कभी कुछ अटक जाता था। इन सबसे एकता काफी परेशान हो गई थी, लेकिन फिर भी उसने किसी से मदद नहीं मांगी। एक बार उसके काम में काफी ज्यादा परेशानी आ गई थी लेकिन उसनें मुझसे कहा कि आप मुझे बस 15-20 दिनों का समय दीजिए, मैं सब ठीक कर दूंगी और उसने यह करके दिखाया। उसके बाद मेरी बेटी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुझे लगता है कि अगर आपके पास हुनर है, मेहनत कर रहे हैं, तो कोई भी आपको रोक नहीं सकता है।
आज टीवी जगत में एकता कपूर एक जाना माना नाम हैं, और इस मुकाम को पाने के लिए उसकी कड़ी मेहनत है। एकता कपूर ने उस वक्त छोटे पर्दे को चुना था जब लोग उसे ज्यादा पूछते तक नहीं थे। बालाजी टेलीफिल्म ने ना केवल टीवी जगत के लिए नई लोगों की धारणा बदली बल्कीकि टीवी कंटेट को भी बदला। इसके साथ ही कई ऐसे कलाकारों को काम और पहचान दी, जो बड़े पर्दे का संघर्ष सह नही पाए थे।
जितेंद्र कहते हैं कि मुझे नाज है कि मैं एकता का पिता हूं, क्योंकि आज लोग मुझे मेरे नाम से ज्यादा बालाजी निर्माता को और एकता कपूर को जानते हैं, इससे बड़ी बात एक पिता के लिए और क्या होगी?