पांच तत्वों पर आधारित हैं दक्षिण भारत के ये 5 चमत्कारी शिव मंदिर, सीधी लाइन में पड़ते हैं एक साथ
भारत में सभी धर्म एक समान हैं. परंतु हिंदू भाषी लोगों की संख्या सबसे अधिक होने के कारण भारत में हिंदू धर्म को सबसे ज्यादा माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को त्रिदेव कहा गया है. शिवजी की कल्पना एक ऐसे देव के रूप में की जाती है जो कभी संहारक तो कभी पालक होते हैं. भस्म, नाग, मृग चर्म, रुद्राक्ष आदि भगवान शिव की वेष-भूषा व आभूषण हैं. इन्हें संहार का देव भी माना गया है. भगवान शिव की हिंदू धर्म में बहुत मान्यता है. पूरी दुनिया में अगर देखा जाए तो सबसे ज़्यादा भक्त भी इन्ही के होते हैं. संसार का निर्माण भी भगवान शिव द्वारा किया गया है. शिवजी को लोग अनेकों नाम से जानते हैं जैसे- भैरव, आशुतोष, भोलेनाथ, कैलाशनाथ, महादेव, महेश, रूद्र आदि. भगवान शिव इतने रूप होने के कारण इनकी पूजा-अर्चना भी लोग अलग-अलग तरीके से करते हैं.
एक ही रेखा में नजर आते हैं ये मंदिर
पूरे देश भर में भोलेनाथ के हजारों मंदिर हैं पर कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जिनका उल्लेख हमें पुराणों में ही सुनने को मिलेगा. पुराणों में उल्लेख होने का अर्थ आप लगा सकते हैं की ये मंदिर आज से कई हज़ार साल पुराने होंगे. आज हम आपको दक्षिण भारत के 5 ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका ज़िक्र पुराणों में किया गया है. इन मंदिरों का हिन्दू धर्म में अपना एक अलग ही महत्व और विशेषता है. विशेषता की बात करें तो ये पांचों मंदिर एक ही सीधी रेखा में बने हुए हैं. उत्तर से अगर दक्षिण तक देखा जाए तो ये पांचों मंदिर एक ही रेखा में नज़र आते हैं. सभी जानते हैं कि इस संसार का निर्माण कुल पांच तत्वों को मिलाकर हुआ है. उन्ही पांच तत्वों पर आधारित हैं, शिवजी के ये 5 मंदिर.
श्रीकालाहस्ती मंदिर (हवा को समार्पित)
आन्ध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुपति शहर के पास श्रीकालाहस्ती मंदिर स्थित है. स्कंद पुराण के की मानें तो इसी स्थान पर अर्जुन को श्रीकालाहस्ती और भारद्वाज मुनि के दर्शन हुए थे.
थिल्लई नटराजर मंदिर (आकाश को समर्पित)
तमिलनाडु के चिदंबरम में थिल्लई नटराज का मंदिर स्थित है. नटराज शिवजी का ही एक रूप है, जिसे सबसे उत्तम नर्तक माना जाता है.
अन्नामलाई मंदिर (आग को समर्पित)
तमिलनाडु के तिरुवन्न्मलई में बसा अन्नामलाई मंदिर यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. इसे दश का सबसे बड़ा मंदिर भी कहा जाता है.
एकाम्बरेश्वर मंदिर (धरती को समर्पित)
तमिलनाडु के कांचीपुरम शहर में स्थित है एकाम्बरेश्वर मंदिर. मान्यता है कि ये मंदिर 3000 साल पुराना है.
जम्बुकेश्वरर मंदिर (जल को समर्पित)
तमिलनाडु के त्रिची में भगवान शिव का म्बुकेश्वरर मंदिर स्थित है. इस मंदिर में महादेव के जल स्वरुप की पूजा-अर्चना की जाती है.
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