शिव जी का ये मंदिर जहां शिव के साथ नहीं हैं नंदी
शिव जी के जिन भी मंदिर में आप जाते हैं वहां पर आपको नंदी की मूर्ति अवश्य दिखती होगी. नंदी भोले नाथ के वाहन और साथ में ही कैलाश पर्वत में शिव जी के दरबारी भी हैं. पौराणिक के कथा के अनुसार जिनको भी शिव जी से मिलना होता था उन्हें नंदी के जरिए होते हुए है शिव जी तक जाना होता है. शिव जी भगवान ने नंदी को सदा अपने साथ रहने के वरदान दिया था जिसके चलते वो हमेशा शिव जी के संग रहते हैं और यही कारण है कि भारत के हर मंदिर में जहां पर शिव जी की पूजा की जाती है, उधर नंदी की मूर्ति भी होती है. जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर शिव जी के पास आते हैं वो नंदी के कानों में ही अपनी मनोकामना कहते हैं. ताकि नंदी उनकी मनोकामना शिव जी के पास पहुंच दें. लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां पर शिव के प्रिय नंदी की मूर्ति उनके साथ नहीं है और ये मंदिर कुंभ नगरी नासिक में है.
कपालेश्वर महादेव मंदिर
नासिक में स्थित कपालेश्वर महादेव मंदिर सदियों पुराना है और कहा जाता है कि खुद शिव जी ने इस मंदिर में अपने सामने नंदी को बैठने से मना कर दिया था. एक कथा के अनुसार ब्रह्म देव के पांच मुख हुआ करते थे और इन पांच मुख में से उनका एक मुख हर वक्त बुराई करता रहता था. जिसके कारण भगवान शिव ने ब्रह्म देव के इस मुख को उनके शरीर से अलग कर दिया था. जिसके कारण भगवान शिव पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया था. इस पाप को खत्म करने के लिए शिव पूरे ब्रह्मांड में घूमे ताकि उनको इस पाप से मुक्ति मिल जाए. मगर लाख कोशिश के बाद भी शिव जी को ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिलने का उपाय नहीं मिला. वहीं जब शिव जी सोमेश्वर में थे उसी दौरान उनको एक बछड़ा यानी नंदी मिला और उन्होंने शिव को ब्रह्म हत्या से मुक्ति होने का उपाय बताया. उन्होंने बताया कि अगर गोदावरी के रामकुंड में स्नान किया जाया तो इस पाप से मुक्ति मिलेगी. जिसके बाद शिव जी ने नंदी को अपना गुरु बना लिया और इस जगह पर बने मंदिर में शिव ने अपने गुरु यानी नंदी को अपना सामने बैठने से मना कर दिया.
इसी तरह की एक कथा के अनुसार एक बार एक बछड़े को एक ब्राह्मण परेशान कर रहा था और उस बछड़े ने उस ब्राह्मण को अपने सिंग से मारा दिया. जिसके चलते उस ब्राह्मण की मौत हो गई. शिव जी वहां पर खड़े होकर सब देख रहे थे. ब्राह्मण की हत्या के बाद उस बछड़े को ब्राह्मण हत्या का दोष चढ़ गया और इस दोष के चलते बछड़े का रंग काला होने लग गया है. बछड़े ने अपनी मां से कहा कि उसे पता है कि किस तरह से ब्राह्मण की हत्या दोष को खत्म किया जा सकता है. शिव जी ने फिर बछड़े का पीछा करना शुरू कर दिया और देखा की उस बछड़ा ने गोदावरी नदी के रामकुंड में स्नान कर अपने इस दोष को खत्म कर दिया. जिसके बाद शिव जी ने भी रामकुंड में स्नान किया और अपने दोष को खत्म कर दिया. ये दोष खत्म होने के बाद बछड़े यानी नंदी को शिव ने अपना गुरू मना लिया और इस स्थान पर शिव जी के बने मंदिर में उन्होंने नंदी को अपने सामने बैठने से मना किया.