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सपा में वर्चस्व की लड़ाई, अखिलेश यादव ने नेता जी को सौपी नई लिस्ट, शिवपाल के चहेते नदारद

उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में सियासी कलह थमने का नाम नहीं ले रहा. रविवार को चाचा भतीजे के बीच मतभेद एक बार फिर साफ़ देखने को मिला. टिकटों के बंटवारे को लेकर एक बार फिर सपा में महासंग्राम होने की सम्भावना दिखने लगी है.

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403 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की लिस्ट सौंपी :

रविवार को सीएम अखिलेश यादव ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह को विधानसभा चुनाव के लिये 403 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की लिस्ट सौंपी, इस लिस्ट में ज्यादातर लोग नये हैं और शिवपाल के खेमे से जुड़े नहीं हैं.

गौरतलब है कि इससे पहले सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने 85 सीटों पर कैंडिडेट्स डिक्लेअर कर दिये थे. नई लिस्ट आने ने एक बार फिर सपा में सियासी घमासान की अटकलें तेज हो गई हैं.

दरअसल सीएम अखिलेश चुनाव में विकास को मुख्य मुद्दा बना रहे हैं और गुंडे माफियाओं को पार्टी से दूर रखना चाहते हैं वहीँ चाचा शिवपाल का मानना है कि बिना बाहुबली नेताओं की मदद के पार्टी को फिर से सत्ता में नहीं लाया जा सकता.

सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि सीएम अखिलेश ने सपा सुप्रीमो को जो लिस्ट सौंपी है, उसमें इलाहाबाद के बाहुबली नेता अतीक अहमद, गाज़ीपुर के अंसारी बंधू और अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि का नाम शामिल नहीं किया गया है, अमनमणि पर फ़िलहाल ग़ाज़ियाबाद की कोर्ट में पत्नी की हत्या का मुक़दमा चल रहा है.और इस तरह से नई लिस्ट में अखिलेश यादव ने मौजूदा लिस्ट के 35-40 मंत्रियों और विधायकों का नाम काट दिया है, जो कि शिवपाल के बेहद करीबी माने जाते हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक सीएम अखिलेश ने एक सर्वे कराया और उसके आधार पर नई लिस्ट तैयार की, और जो मंत्री या विधायक अपने क्षेत्र में जनता के लिये काम करने में नाकामयाब रहे हैं उनका नाम लिस्ट से हटा दिया गया है.

समाजवादी पार्टी के ताज़ा हालातों को देखें तो लगता है कि पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है, एक तरफ शिवपाल यादव अंधाधुंध टिकट बाँटने में लगे हैं तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव उन नामों को ख़ारिज करते हुये अपने हिसाब से नये उम्मीदवारों की सूची नेता जी को सौंप रहे हैं, इस बात में कोई शक नहीं है कि अब पार्टी में अंतर्कलह इसकदर बढ़ चुका है कि पार्टी के दो फाड़ होने से कोई नहीं रोक सकता.

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