न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: भारत काफी लंबे समय से आतंकवाद को खत्म करने की मुहिम चला रहा है। काफी लंबे समय से पाकिस्तान से बातचीत चलती आ रही है कि वो पाकिस्तान आंतकियों का खात्मा करें। लेकिन 14 फरवरी को पुलावामा में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले के बाद से भारत ने पाक से बातचीत करने की बजाए उसे मुंहतोड़ जवाब दिया है। बता दें कि इस हमले के बाद से भारत ने आतंकवाद के खिलाफ ने केवल पाकिस्तान में कार्रवाई की है बल्कि देश में भी आतंक को बढ़ावा देने वाले संगठनों पर शिंकजा कसना शुरू कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी संगठन जमान-ए-इस्लामी के खिलाफ सरकार ने रड़ा रूख किया है। गुरूवार के दिन ही सरकार ने कश्मीर के इस संगठन पर बैन लगा दिया था। जिसके बाद से ही इस कट्टरपंथी संगठनों के कई नेताओं को हिरासत में लिया गया है। उनके खिलाफ उनके खिलाफ UAPA (अनलॉफुल ऐक्टिविटी प्रिवेन्शन ऐक्ट) के तहत कार्रवाई की जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अकेले श्रीनगर में संगठन के 70 बैंक अकाउंट्स को सील कर दिया गया है।
कट्टरपंथी संगठनों के कई बड़े नेता हिरासत में
बता दें कि सिर्फ सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही नहीं बल्कि श्रीनगर के किश्वतवाड़ में भी जमात-ए-इस्लाम संगठन के कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। जब इन संगठनों के ऑफिसों में छापेमारी की गई तो उसमें 52 करोड़ रूपए जब्त किए गए हैं। ये संगठन ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा है जो जम्मू-कश्मीर और श्रीनगर की आंतरिक सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए खतरा रहे हैं। जिसके चलते गुरूवार को गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा था कि जमात-ए-इस्लामी संगठन पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था।
जमात-ए-इस्लामी के ये नेता गिरफ्तार
बता दें कि इस कार्रवाई के दौरान अब्दुल हामिद फयाज, जाहिद अली, मुदस्सिर अहमद और गुलाम कादिर जैसे जमात-ए-इस्लामी के बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा दक्षिण कश्मीर के त्राल, बडगाम और अनंतनाग से जमात के कई नेताओं की गिरफ्तारी हुई है।
₹4,500 करोड़ की संपत्ति
बता दें कि सरकार ने शुक्रवार को इंस्पेक्टर जनरल और जिला मैजिस्ट्रेटों को इस संगठन के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के आदेश दे दिए थे। इस संगठन के 350 से ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस संगठन के घाटी में 400 स्कूल, 350 मस्जिदें और 1000 सेमिनरी चलाता है। इन संगठनों के ऑफिस में की गई छापेमारी में करीब 4,500 करोड़ रूपए की संपत्ति होने की बात कही है, अब इस संपत्ति पर जांच होने के बाद ही पता लगेगा कि ये वैध है या अवैध।
क्या है जमात-ए-इस्लामी
बता दें कि जम्मू-कश्मीर जैसी घाटियों में ये संगठन अलगावादियों और कट्टरपंथियों के प्रचार-प्रसार करता है। साथ ही यह हिज्बुल मुजाहिदीन को रंगरूटों की भर्ती, उसके लिए धन की व्यवस्था, आश्रय और साजो-सामान में भी उनकी मदद करता है। अधिकारियों की मानें तो इस संगठन के सबसे ज्यादा कार्यकर्ता दक्षिण कश्मीर क्षेत्र में हैं जो हिज्बुल मुजाहिदीन पाकिस्तान के सहयोग से प्रशिक्षण देने के साथ ही हथियारों की आपूर्ति कर रहे है। जमात-ए-इस्लामी पर कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों की सक्रिय अगुआई करने का आरोप है।
महबूबा मुफ्ती ने की सरकार की निंदा
पीपल्स डेमौक्रैटिक पार्ची की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सरकार का जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन पर पाबंदी लगाने के फैसले की निंदा की है। उन्होंने ट्वीट कर के लिखा है कि, ‘लोकतंत्र विचारों का संघर्ष होता है, ऐसे में जमात-ए-इस्लामी (जेके) पर पाबंदी लगाने की दमनात्मक कार्रवाई निंदनीय है और यह जम्मू कश्मीर के राजनीतिक मुद्दे से अक्खड़ और धौंस से निपटने की भारत सरकार की पहल का एक अन्य उदाहरण है।’
सऊदी समेत कई अरब देशों में है प्रतिबंधित
बता दें कि ये संगठन सऊदी समेत कई अरब देशों में भी यह संगठन प्रतिबंधित है। अन्य आतंकवादी संगठनों और इन संगठनों में फर्क बस इतना है कि ये राजनीति में हिस्सा लेकर इस्लामी साम्राज्य की स्थापना का सपना देखता है।
इसके पहले भी लग चुकी है पाबंदी
बता दें कि इस संगठन पर उसकी गतिविधियों को लेकर पहले भी दो बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है। सबसे पहले सन् 1975 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने दो साल के लिए और दूसरी बार अप्रैल 1990 में केंद्र सरकार ने तीन साल के लिए प्रतिबंध लगाया था।