पत्नी कर रही थी सरहद पर जाने की तैयारी…तभी आ गयी पति के मौत की खबर, 3 बहनों में थे इकलौते भाई
श्रीनगर के बडगाम में पाकिस्तान के खिलाफ वायुसेना की कार्रवाई के दौरान चंडीगढ़ के रहने वाले स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ वशिष्ठ शहीद हो गए. जब उनके घरवालों को शहादत की बात पता चली तो घर पर मातम का माहौल छा गया. शहादत की खबर सुनते ही दोस्त और परिवारवाले फूट-फूट कर रोने लगे और पूरा शहर गुरुवार को सिद्धार्थ की शहादत को याद करके ग़मगीन हो गया. शहादत को प्राप्त हुए स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ वशिष्ठ के पार्थिव शरीर को शाम 7.30 बजे उनके चंडीगढ़ सेक्टर-44 स्थित घर एयरफोर्स अफसरों की टीम की मौजूदगी में लाया गया. पूरे राजकीय सम्मान के साथ अगले दिन शुक्रवार सुबह 10 बजे सेक्टर 25 स्थित क्रिमेशन ग्राउंड में उनका अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान उन्हें एयरफोर्स की तरफ से गार्ड ऑफ़ ऑनर का भी सम्मान दिया गया.
जब शहीद का पार्थिव शरीर उनके घर लाया गया तो आस-पास के सभी लोग उन्हें देखने के लिए अपने-अपने घरों से बाहर निकल आये. शाम 5.30 बजे एयरफोर्स स्टेशन से एक गाड़ी आई जिसमें उनका पार्थिव शरीर रखा हुआ था. गाड़ी में से एक महिला और कुछ पुरुष अधिकारी उतरे जिन्होंने शहीद की वर्दी ली हुई थी. कुछ देर बाद शहीद के पार्थिव शरीर को उनकी पत्नी आरती बाकायदा एयरफोर्स की ड्रेस में लेकर आई. राजकीय सम्मान के साथ स्क्वाड्रन लीडर के पार्थिव शरीर को 12 विंग एयरफोर्स स्टेशन के अफसरों की निगरानी में उनके चंडीगढ़ स्थित घर सेक्टर 44 लाया गया. बेटे को देखते ही घरवालों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. घरवालों के अलावा शहर के लोगों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर शहीद को श्रद्धांजलि दी. श्रद्धाजंलि देने के दौरान सभी भारत माता की जय के नारे लगाते रहे.
पति को कॉफिन में देख नहीं थम रहे थे पत्नी के आंसू
जब शहीद की पत्नी आरती अपने पति को लेने एयरपोर्ट पर पहुंची तो अफसरों के हाथ में पति के यूनिफार्म को देखकर अपने आंसू रोक नहीं पायी. पूरे हिम्मत और साहस के साथ वह अपने पति के पार्थिव शरीर को घर लेकर आयीं. इस दौरान शहीद के माता-पिता और भाई-बहन भी साथ थे. लेकिन जैसे ही आरती घर पहुंची उनके सब्र ने जवाब दे दिया. घर पहुंचते ही वह फूट-फूट कर रोने लगीं और बार-बार एक ही बात दोहराने लगी कि “सिद्धार्थ मेरा साथ क्यों छोड़ गए”. बेटे को श्रद्धांजलि देने के बाद शहीद के पिता ने कहा, “बेटा चलो घर चलते हैं”. बता दें, शहीद का एक दो साल का मासूम बेटा भी है जिसने अपने शहादत प्राप्त पिता को मुखाग्नि दी. जानकारी के लिए बता दें सिद्धार्थ तीन बहनों में इकलौते भाई थे और शहीद की पत्नी आरती खुद एयरफोर्स में स्क्वाड्रन लीडर हैं. वह खुद कुछ दिनों में सरहद पर जाने की तैयारी कर रही थीं.
चाचा: वह तो भारतीय सीमा में घुसे जहाजों को ट्रेस करने गया था
वहीं, शहीद के चाचा सतीश चंद के अनुसार उनका भतीजा भारतीय सीमा में घुसे जहाजों को ट्रेस करने गया था. लेकिन फ़ौज की मानें तो एयरक्राफ्ट क्रैश हुआ है. ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि सिद्धार्थ वशिष्ठ को शहीद का दर्जा मिलता है या नहीं. हालांकि, परिवार यही कह रहा है कि उनका बेटा शहीद हुआ है. सिद्धार्थ की शहादत की खबर मिलते ही मोहल्ले के धोबी ने अपना काम पूरा दिन बंद रखा. उसने कहा- मोहल्ले का हीरो चला गया है ऐसे में वह कैसे अपना काम कर सकता है. दो दिन काम नहीं करने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.
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