उम्र के आखिरी पड़ाव पर बंद किया बूढ़ी मां का दाना-पानी, कहा -‘भीख मांगकर खा, लेकिन यहां मत आना’
एक आदमी जिंदगी भर की कमाई अपने बच्चों पर लगाता है और एक महिला अपने बच्चों का पोषण करती है. ऐसा माना जाता है कि बेटे वंश को बढ़ाते हैं और माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी बनते हैं लेकिन जब वही बेटे हैवान बन जाएं तब वो माता-पिता कहां जाए ? आपने देवी मां की आरती वो लाइन तो सुनी ही होगी ‘पूत कपूत सुने हैं पर ना माता सुनी कुमाता’ और ये लाइन बिल्कुल सही लिखी गयी है. पूत को कपूर बनने में देर नहीं लगती और ऐसा मध्यप्रदेश में हुआ है. जब एक बूढ़ी मां को भिखारी बोलकर उसके बेटे ने घर से निकाल दिया. ख्यात नवाज देवबंदी का एक शेर ‘नाख़लफ़ (कुपुत्र) बेटे तो दर्द-ए-सर बने, बेटियों ने सर दबाया देर तक’ याद आ रहा है जिसमें बिल्कुल सही बात लिखी है. तीन बेटे होने के बाद भी एक मां यतीमों की तरह जिंदगी बिताने पर मजबूर है. उम्र के आखिरी पड़ाव पर बंद किया बूढ़ी मां का दाना-पानी, ये कैसी संतान है जिसे अपनी मां का दर्द महसूस नहीं हुआ ?
उम्र के आखिरी पड़ाव पर बंद किया बूढ़ी मां का दाना-पानी
गिरते-पड़ते, लड़खड़ाते कदमों से एक बूढ़ी मां वृद्ध काशीबाई मंगलवार को जनसुनवाई अधिकारियों से मिली. वहां पर उन्होने कागज देते हुए अपने बेटों की शिकायत की. काशीबाई के पति का डेढ़ साल पहले निधन हो गया और तब से उनके बेटों ने जमीन और मकान का बंटवारा करके मां को अलग कर दिया. बूढ़ी मां की देख-रेख की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली. 17 जुलाई, 2017 को एसडीएम कोर्ट के आदेशपर तीनों बेटों को एक-एक हजार रुपये प्रतिमाह मां को देने के लिए कहा गया था लेकिन किसी बेटे ने इसका पालन नहीं किया. बेटी की भी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है तो वो भी मां के लिए कुछ नहीं कर पा रही. हर गुरुवार को दादाजी धाम में जाकर काशीबाई जाकर भीख मांगती है और बोलती हैं कि बेटी पर बोझ ना बनूं इसलिए भीख मांगती हूं. बता दें काशीबाई के 8 बच्चे हैं जिसमें 5 बेटियां और 3 बेटे हैं. इतने बच्चों के बाद भी उस बूढ़ी मां काशीबाई को रखने या उनके लालन-पोषण के लिए को भी नहीं है और ये बहुत ही दुख की बात है.
क्या है पूरा मामला ?
काशीबाई ने कहा, ‘मेरे तीन बेटे गिरधारी, किशन और बिशन हैं. गिरधारी बुरहानपुर जिले के निंबोला में पशु अस्पताल में नौकरी करता है. जबकि किशन और बिशन खेती व नेता नगरी में सक्रिय रहते हैं.’ काशीबाई ने ये भी बताया, ‘मेरे पिता की दो संतान थीं मैं और मेरा भाई था. पिता और भाई की मौत के बाद उनकी ढाई एकड़ जमीन मेरे नाम कर दी गई थी जो शाहपुरा कुदाल्दा में है. वो मेरे नाम हो गई लेकिन मेरे बड़े बेटे गिरधारी ने मेरे पति को धोखे में रखकर जमीन अपने नाम करवा ली. अब मुधे वह अपने घर में रखा है जिस कारण मेरे दूसरे बेटे किशन और बिशन नाराज हो गए.’ उनके बेटों का कहना है कि जमीन और घर गिरधारी को दिया है तो तेरा भरण-पोषण करेगा. बेटे मेरे साथ मारपीट करते हुए कहते हैं कि ‘मांगकर खा, यहां मत आ.’