अपने ही बयान पर पलटे पर्रीकर, कहा ‘गोवा को कैशलेस बनाना संभव नहीं’
एक तरफ तो मोदी सरकार देशभर को कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ ले जाने की मुहीम पर अड़ गई है, कम पढ़े लिखे और दूर दराज के लोगों के लिये, USSD बैंकिंग सेवाओं की शुरुआत की गई वहीँ दूसरी तरफ मोदी सरकार के मंत्री ही ऐसा बयान दे रहे हैं जो कैशलेस अर्थव्यवस्था के सपने को बट्टा लगाने को काफी हैं.
मोदी कैबिनेट में मंत्री मनोहर पर्रीकर ने गोवा की राजधानी पणजी में एक ऐसा बयान दिया है जिसकी उनसे उम्मीद नहीं की जा सकती. रक्षा मंत्री पर्रीकर ने कहा कि गोवा को पूरी तरह से कैशलेस यानि की नकद रहित बनाना ना तो संभव है और ना ही जरूरी. उन्होंने कहा कि सरकार गोवा में लगभग आधे भुगतानों को नकद रहित बनाना चाहती है.
गोवा के एक सरकारी कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ‘जितना ज्यादा संभव हो सके डिजिटल भुगतानों को बढ़ावा देना शुरू कीजिये, हम जल्द से जल्द 15-20% डिजिटल भुगतानों के लक्ष्य को पाने का प्रयास कर रहे हैं, उसके बाद इसे 50% तक ले जाने का लक्ष्य है. इस प्रक्रिया में बहुत सि कठिनाइयाँ हैं जिन्हें पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है’
पर्रीकर ने अपने ही बयान पर पल्टी :
इससे पहले गोवा में ही पिछले महीने उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुये कहा था कि गोवा देश का सबसे पहला कैशलेस राज्य बनेगा. पर्रीकर ने अपने ही बयान पर पल्टी इस लिये मारी क्योंकि दिसम्बर में गोवा के व्यापारियों ने वाणिज्य कर विभाग के एक फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया था, वाणिज्य कर विभाग ने गोवा को कैशलेस बनाने के लिये दस दिन के अन्दर ही पंजीकरण कराने को कहा था, जिसके बाद व्यापारियों के प्रदर्शन के चलते राज्य सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा. और इसी का साइडइफेक्ट है कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर को अपने बयान से पलटना पड़ा.
पर्रीकर ने कहा वाणिज्य कर विभाग का परिपत्र अनिवार्य नहीं है और हम कम नकद भुगतान करने वाले समाज को बढ़ावा देंगे. उन्होंने यह भी बताया कि कैशलेस वास्तव में क्या है और इसके माध्यम से किसतरह भुगतान किया जा सकता है. उन्होंने लोगों को डेबिट-क्रेडिट कार्ड, पेटीएम और ई-वालेट जैसी सुविधाओं के बारे में भी बताया.