दो सरकारी नौकरियां छोड़ने के बाद कड़ी मेहनत से बना DPS, फिर आतंकियों से लड़ते हुए हो गया शहीद
जब कोई आर्मी या पुलिस में भर्ती होता है तब वो अपने सिर पर कफन बांध लेता है. ये डायलॉग तो आपने सुना ही होगा लेकिन सच्चाई यही है कि उनकी जान की कीमत उन्हें देश की रक्षा करने के लिए चुकानी पड़ती है. 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकियों ने जिस कायरता के साथ हमारे 40 सीआरपीएफ के जवानों को मारा वो हमारी नजर में तो शहीद हो गए लेकिन आतंकियों का खात्मा भारतीय सेना का प्रथम लक्ष्य बन गया है. उसके बाद से सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा कर दी गई और कई आतंकी भी मारे जा रहे हैं. इसी बीच आतंकियों से लड़ते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस का ये ऑफिसर भी शहीद हो गया. दो सरकारी नौकरियां छोड़ने के बाद कड़ी मेहनत से बना DPS, इस नौकरी को पाने का सपना इनका हमेशा से था.
दो सरकारी नौकरियां छोड़ने के बाद कड़ी मेहनत से बना DPS
जम्मू कश्मीर के कुलगाम में रविवार को आतंकियों से मुठभेड़ में पुलिस उपाधीक्षक (DSP)अमन ठाकुर शहीद हो गये. इनको पुलिस बल में शामिल होने का जुनून था और इतना कि इन्होंने दो सरकारी नौकरियां भी छोड़ दी. 40 साल के अमन की पहली नौकरी समाज कल्याण विभाग में लगी तो दूसरी सरकारी कॉलेजी में लेक्चरर के पद पर नियुक्ति हुई और जंतु विज्ञान में बैचलर की डिग्री हासिल की.
पुलिस विभाग से ही अमन के एक करीबी दोस्त ने बताया कि ठाकुर हमेशा से ही पुलिस में शामिल होना चाहते थे और उन्हें वर्दी पहनने का बहुत शौक था. डोडा क्षेत्र में गोगला जिले के रहने वाले ठाकुर साल 2011 बैच में पुलिस सेवा के अधिकारी पद पर नियुक्त किए गए. उनके पीछे उनके बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी सरला देवी और एक बेटा आर्य है.
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह इस युवा पुलिस अधिकारी से कई बार मिल चुके हैं और उन पलों को याद करते हुए भावुक भी हुए. सिंह ने कहा, ‘वह हमेशा जोश से भरे रहते ते और अपनी टीम को सही दिशा में नेतृत्व करते थे.’ दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुलगाम जिले में उनके कार्यकाल के दौरान ठाकुर ने कई बहादुरी पुरस्कार भी जीते थे.
आतंकियों से मुठभेड़ में हो गए थे शहीद
ठाकुर के सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें श्रद्धांजि देते हुए उनके एक साथी ने कहा, ”दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएं ठाकुर के परिवार के साथ हैं.” उनके मित्र उन्हें उनकी सादगी , ईमानदारी और पेशेवर अंदाज से याद कर रहे हैं. एक पुलिस ने कहा, ‘वह अपने दृढ़ संकल्प और बहादुरी के लिए पहचाने जाते थे. अपने मददगार स्वभाव और पेशेवराना रुख से वो हमेशा सबसे प्यार ही पाते थे.’ ठाकुर की बहादुकी और आतंकवाद विरोधी अभियानों में उनके साहस के लिए उन्हें शेर-ए-कश्मीर पदक से सम्मानित किया गया. अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में रविवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में ठाकुर के साथ एक और जवान शहीद हुए. इसमें दो सैनिक घायल हो गए और इस दौरान सुरक्षा बलों ने जैश-ए-मोम्मद के तीन आतंकवादियों को भी मार गिराया.