शहीद की अस्थिकलश को छूते हुए 9 माह की गर्भवती पत्नी ने कहा- मेरी कोख भी महसूस कर रही उनकी वीरता
बीते 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए. पूरा देश जवानों की शहादत पर शोक मना रहा है. ये फिदायीन हमला तब हुआ जब जवानों की गाड़ी का काफिला डिप्लॉयमेंट के लिए बेस कैम्प जा रहा था. इस हमले के बाद देशभर के लोग पाकिस्तान की निंदा कर रहे हैं और हमले का जमकर विरोध कर रहे हैं.
बता दें, शहीद हुए जवानों में से 5 जवान राजस्थान के थे और उन्हीं में से एक थे शहीद श्योराम. दरअसल, राजस्थान झुंझुनूं के टीबाबसई गांव में रहने वाले शहीद श्योराम की शहादत से पूरा गांव इतर रहा था. पूरा गांव खुद पर गौरवांतित महसूस कर रहा है कि उनके गांव में एक शेरदिल बहादुर शहीद ने जन्म लिया था. लेकिन आज इस गांव में जो अद्भुत दृश्य देखने को मिला वह वाकई असाधारण और अकल्पनीय था. पूरा गांव रोने लगा जब शहीद की पत्नी वीरांगना सुनीता देवी जयपुर से गांव अपने वीर पति को आखिरी बार छूने आई.
9 माह के गर्भ की अवस्था में जयपुर से वापस लौटी
बता दें, वीरांगना सुनीता देवी 9 माह के गर्भ की अवस्था में जयपुर से वापस गांव पहुंची. गर्भावस्था में एक महिला को बस आराम करने की सलाह दी जाती है और इस अवस्था में वह वापस लौट आयीं. घरवालों ने उन्हें बहुत मना किया लेकिन वह नहीं मानी. वह एक आखिरी बार अपने पति की अस्थियों को छूना चाहती थी. दरअसल, आज शहीद की अस्थियां एकत्रित की गयी थीं. आखिरी बार अपने पति को छूने और अहसास करने का ये अवसर वह अपने हाथों से गंवाना नहीं चाहती थी. उसने पति के अस्थिकलश को छुआ और सिर से माथे लगाया. ये भावुक कर देने वाला दृश्य देखकर गांववालों की आंखें भर आई और उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया. ऐसी होती हैं वीरांगनाएं जिन्हें दुख की घड़ी में भी अपना कर्तव्य याद रहता है. वीरों की धरती पर ऐसा दृश्य शायद ही पहले किसी ने देखा होगा. शहीद की पत्नी के अलावा बेटे खुशांक, मां सारली देवी, भाई रूपचंद और रघुबीर समेत पूरे गांव के लोगों ने कलश को माथे से लगाकर श्योराम को अंतिम विदाई दी. गर्भवती पत्नी की अवस्था की देखभाल करने के लिए चिकित्सा विभाग ने डॉक्टरों की टीम लगाई थी.
कहा- बेटे को भी उनसा ही वीर, साहसी बनाउंगी
वीरांगना सुनीता ने कहा, “मैं उनके साहस को प्रणाम करती हूं. वे हमेशा यही कहते थे कि जिस दिन देश पर मर मिटने की बारी आएगी, एक पल के लिए पीछे नहीं हटूंगा. उन्होंने वैसा ही किया, उनकी अस्थियां छू कर मैंने महसूस किया कि वे हमारे आसपास ही हैं. मैंने उनसे वादा किया है कि एक पल के लिए भी हम लोग अपना हौसला कम नहीं पड़ने देंगे. मैं अपने बड़े बेटे और मेरी कोख में पल रही संतान को भी उनसा ही वीर और साहसी बनाऊंगी”.
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