आख़िरकार पता चल गया नजीब जंग ने इस्तीफ़ा क्यों दिया, जानिए 5 बातें जो हो सकते हैं इस्तीफ़ा देने की वजह!
गुरुवार की शाम दिल्ली वालों के लिए एक बड़ी शाम साबित हुई। कुछ लोग इस खबर से बहुत खुस हुए, कुछ के चेहरे पर मायूसी छा गयी। दिल्ली ने उपराज्यपाल ने एक अहम फैसला लेते हुए अपनी जंग रोक दी और अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। नजीब जंग ने इस्तीफ़ा देने की वजह को निजी बताया है, लेकिन पूरा देश दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और नजीब के रिश्तों के बारे में जानती है। दोनों एक दुसरे को फूटी आँख भी नहीं सुहाते थे।
नजीब और केजरीवाल की लड़ाई थी जगज़ाहिर:
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने नजीब के फैसले पर ट्वीट करके हैरानी जताई है और उनके भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दी है। इस बात से सभी लोग परिचित हैं कि नजीब के ऊपर केजरीवाल यह आरोप लगाते रहे हैं कि वह केंद्र के इशारों पर काम करते थे और दूसरी तरफ खुद केजरीवाल उन्हें अपने हिसाब से काम करने के लिए कहते थे। जब से दिल्ली में आप की सरकार बनी है, तब से नजीब और केजरीवाल की लड़ाई को पूरा देश देख रहा है। आज हम आपको कुछ ऐसी वजहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि नजीब के इस्तीफे की यही वजह रही होगी।
कुछ बातें जो हो सकती हैं नजीब के इस्तीफे का कारण:
*- मोदी सरकार के इशारों पर काम करने का आरोप:
यह सभी लोग जानते हैं की केजरीवाल नजीब के उपराज्यपाल बनने के बाद से ही उनपर यह आरोप लगाते रहे हैं कि वह मोदी के इशारों पर काम करते हैं। केजरीवाल ने नजीब को हिटलर तक की उपाधि दे दी थी। केजरीवाल ने नजीब को ट्वीट करके एक बार यह भी कहा था कि आप कितना भी मोदी के इशारे पर असंवैधानिक काम कर लीजिये लेकिन वो आपको उपराष्ट्रपति नहीं बनायेंगे। नजीब ने इस्तीफ़ा देते वक़्त इस बात से साफ़ इनकार कर दिया कि वह उपराष्ट्रपति नहीं बनाना चाहते हैं। वह अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं और अमेरिका एवं सिंगापुर में पढ़ाना चाहते हैं।
*- दिल्ली डॉयलाग कमीशन के गठन पर नहीं आपसी सहमती:
केजरीवाल और नजीब के रिश्तों में उस समय और कड़वाहट आ गयी जब दिल्ली महिला आयोग में आईएएस दिलराज कौर की नियुक्ति को केजरीवाल ने निरस्त कर दिया। इसके बाद नजीब ने दिल्ली डॉयलाग कमीशन से जुड़ी सभी फाइलों के जाँच के आदेश जारी कर दिए थे। इसके अलावा 8 दिसंबर को ही नजीब ने डीडीसी के गठन से जुडी सभी फाइलें माँग ली थी और डीडीसी के कामकाज, इसकी उपयोगिता और खर्चे सम्बन्धी आँकड़े देने के लिए कहा था।
*- प्रीमियम बस सेवा को फेल करने आरोप:
इन दोनों के बीच उस समय और खटास बढ़ गयी जब दिल्ली सरकार की प्रीमियम बस सेवा और बस लेन में पार्किंग करने पर जुर्माना वाले मामले में नजीब ने आपत्ति दर्ज कराई थी। इसपर कैबिनेट ने दिल्ली सरकार से दोनों मामले में जवाब माँगा था। उस समय केजरीवाल ने नजीब के ऊपर ट्वीट करके यह आरोप लगाया था कि वह और केंद्र सरकार मिलकर उनकी हर योजना की फाइल के राह में रोड़ा बन रहे हैं।
*- नियुक्तियों के लेकर भी हुए कई विवाद:
इसी साल अगस्त महीने में जब दिल्ली हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि नजीब दिल्ली के मुखिया हैं तो केजरीवाल को बहुत गहरा धक्का लगा था। इसके बाद ही उपराज्यपाल सचिवालय ने दिल्ली सरकार से पिछले डेढ़ साल की उन सभी फाइलों की माँग की, जिनपर फैसला लिया गया था। इन सभी फाइलों में से कई फइलें ऐसी भी थीं, जो बिना उपराज्यपाल की मंजूरी से पास नहीं होनी चाहिए थीं। लेकिन नजीब से तानातानी की वजह से दिल्ली सरकार ने फइलें उनके पास भेजना मुनासिब नहीं समझा। दिल्ली सरकार ने बिना उपराज्यपाल की मंजूरी से कई नियुक्तियां भी की थीं, जिसमें नजीब की सहमती का होना जरुरी था। इस वजह से दोनों के बीच दूरियाँ और बढ़ती ही गयी।
*- नजीब पर भ्रष्टाचार का भी लगाया था आरोप:
इसी साल जून में बुराड़ी में एक राशन की दुकान का निलंबित लाइसेंस बहाल करने के मामले में दिल्ली सरकार ने नजीब के ऊपर गंभीर आरोप लगाया था। दिल्ली सरकार ने नजीब पर यह आरोप लगाया था कि इन्होने अपने पद का गलत फायदा उठाते हुए नियमों को अनदेखा किया है और रद्द हुए लाइसेंस को बहाल कर दिया। इसके लिए दिल्ली विधानसभा में इसकी जाँच के लिए 9 सदस्यों की एक टीम के गठन को भी पास किया गया था।