लोन ना चुका पाने के कारण बैंक ऑफिसर ने घर कर दिया सीज, जब सच्चाई पता चली तो खुद किया ये काम
मिडिल क्लास फैमिली अपनी किसी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए कर्ज या लोन का सहारा लेता है. तभी वे अपने शौक पूरे करते हैं और फिर धीरे-धीरे अपने ऊर चढ़े ऋण को चुकाते हैं. लेकिन अगर आप किसी बैंक से लोन लेते हैं और किसी कारणवश उसे चुका नहीं पाते तो आपको इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. बैंक वाले आपकी प्रॉपर्टी जब्त कर सकते हैं या फिर कुछ ऐसा होता है जिससे ऋण लेने वाले को बहुत ज्यादा भुगतना पड़ता है. ऐसा ही एक मामला हुआ मध्यप्रदेश में जब लोन ना चुका पाने के कारण बैंक ऑफिसर ने घर कर दिया सीज, लेकिन जब ऑफिसर को सच्चाई का पता चला तो उसने कुछ ऐसा किया जो शायद ही आपने कभी किसी के लिए सुना होगा.
लोन ना चुका पाने के कारण बैंक ऑफिसर ने घर कर दिया सीज
करीब 8 महीने पहले हरगोविंद झा की ब्लड कैंसर होने की वजह से डेथ हो गई थी और उन्होंने होम लोन कंपनी से मकान बनाने के लिए एक लाख रुपये का लोन लिया था. उनकी मौत के बाद घरवालों ने बहुत कोशिश की लेकिन कर्ज नहीं चुका पाए. कंपनी के ऑफिसर लोन की किश्त लेने घर पहुंचे और जब वहां की कमजोर स्थिति देखी तो हैरान रह गए. उन ऑफिसर्स ने देखा कि घर की स्थिति कुछ ऐसी थी कि वो 900 रुपये प्रतिमाह की किश्त भी नहीं दे सकते थे. वहीं हरीगोविंद की तीन बेटियां हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ने की वजह से उनकी पढ़ाई भी रुक गई. इसके बाद बैंक ऑफिसर्स ने उनकी परिस्थिति समझी और उनके परिवार का लोन चुका दिया. इतना ही नहीं बल्कि तीनों बेटियों की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं. स्वर्गीय हरगोविंद झा एक मेडिकल स्टोर में काम करते थे और उसमें सिर्फ पांच हजार रुपये का वेतन उन्हें मिलता था.
हरगोविंद झा की पत्नी दीपाली ने बताया, ”करीब तीन साल पहले उन्होने अपना घर खरीदा था और अपने सपने के घर को कायदे से बनवाने के लिए करीब 1 लाख रुपये का लोन लिया था. इसके चलते उनका सपना भी पूरा हो गया और वे समय पर किस्त भर देते थे. मगर अचानक उन्हें ब्लड कैंसर की शिकायत हुई और जून, 2018 में उनका देहांत हो गया. तीन महीने तक किस्त नहीं भरी गई तो बैंक से फोन आने लगे.” दीपाली ने आगे बताया, ”मैंने बहुत कोशिश की लेकिन मेरे पास इतने रुपये नहीं हो पा रहे थे कि मैं किस्त चुका सकूं. इसके बाद कुछ अफसर आए और मेरा धदर सीज कर दिया लेकिन जब उन्हें मेरे परिवार की स्थिति कमजोर लगी तो उन्होंने हमारी खूब मदद की.” आपको बता दें कि बैंक वालों ने खुद फोन करके दीपाली से कहा कि वो उनका लोन चुकाएंगे और बेटियों की पढ़ाई के लिए करीब 65 हजार रुपये भी भेजे.
पापड़ बनाकर दीपाली चलाती है घर
हरगोविंद झा की पत्नी दीपाली अपनी तीन बेटियां हर्षिता, वर्तिका और मोहिता के साथ रहती है. तीनों बेटियां स्कूल में पढ़ती हैं लेकिन पिता के निधन के बाद उनके घर का खर्च चलाने वाला कोई नहीं रहा. इसके बाद पत्नी दीपाली ने पापड़ बनाने का काम शरु किया जिसमें उनकी बेटियां उनका हाथ बंटाती हैं. मगर दिनभर में सिर्फ 50 रुपये की ही कमाई हो पाती थी जिसके कारण सिर्फ घर का खर्च ही चल पाता था, ऐसे में अगर बैंक ऑफसर्स उसकी मदद ना करते तो बेटियां आगे नहीं पढ़ पातीं. ऐसा हर इंसान को होना चाहिए, एक-दूसरे की मदद व्यक्ति को जरूर करनी चाहिए.