जानें आखिर कौन थे छत्रपति शिवाजी महाराज और इनकी जिंदगी से जुड़ी खास बातें
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी सन् 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था और ये भारत के सबसे वीर सम्राटों में से एक थे. इन्हें आज भी लोग इनकी वीरता के लिए जानते हैं और ये ‘हिन्दू हृदय सम्राट’ के नाम से भी काफी प्रसिद्ध हैं. जबकि कई लोग इन्हें ‘मराठा गौरव’ भी कहते हैं. 19 फरवरी को जन्मे इस वीर राजा की आज जयंती है.
छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ी खास बातें
पूरा नाम | शिवाजी राजे भोंसले |
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जन्म | 19 फ़रवरी, 1630 |
जन्म भूमि | शिवनेरी, महाराष्ट्र |
मृत्यु तिथि | 3 अप्रैल, 1680 |
मृत्यु स्थान | दुर्ग रायगढ़ |
पिता/माता | शाहजी भोंसले, जीजाबाई |
पत्नी | साइबाईं निम्बालकर |
संतान | सम्भाजी |
उपाधि | छत्रपति |
शासन काल | 642 – 1680 ई. |
शा. अवधि | 38 वर्ष |
राज्याभिषेक | 6 जून, 1674 ई. |
धार्मिक मान्यता | हिन्दू धर्म |
युद्ध | मुग़लों के विरुद्ध अनेक युद्ध हुए |
निर्माण | अनेक क़िलों का निर्माण और पुनरुद्धार |
सुधार-परिवर्तन | हिन्दू राज्य की स्थापना |
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छत्रपति शिवाजी महाराज का परिवार
छत्रपति शिवाजी महाराज का नाता महाराष्ट्र राज्य से था और इनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले है. इनके माता पिता का नाम जीजाबाई और शाहजी था. छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने जीवन में चार बारी शादी की थी. इनकी पत्नी सइबाई निम्बालकर से इन्हें एक पुत्र था जिसका नाम संभाजी था. जो कि इनका उत्तराधिकारी था.
खेलते हुए सीखा किला जीतना
कहा जाता है कि शिवाजी अपने बचपन पर किला जीतने का खेल खेला करते थे और इस खेल के दौरान ये अपने दोस्तों के नेता बनते थे. अपने दोस्तों के साथ ये किला जीतने की रणनीति बनाते थे. इन्हीं खेलों को खेलकर इ्न्होंने ये बचपन में ही सीख लिया था कि किस तरह से किले पर कब्जा किया जाता है .
शिवाजी के गुरु
समर्थ रामदास जी छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु हुआ करते थे और ये अपने गुरु से काफी प्रभावित थे, कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘महान शिवाजी’ बनाने में के पीछे इनके गुरु का काफी योगदान रहा है और इनके गुरु की मदद से ही ये महान राजा बन सके थे.
किया छत्रपति शिवाजी के पिता को कैद
शिवाजी के बल के बारे में हर शासक जानता था और शिवाजी के बढ़ते प्रताप से कई राजाओं को दिक्कत थी. इसलिए राजा आदिलशाह ने शिवाजी को अपना बंदी बनाने के लिए इनके पिता शाहजी को अपनी कैद में ले लिया था. ताकि शिवाजी इनके पास आए और खुद को बंदी बना लें. लेकिन शिवाजी ने ऐसा कुछ नहीं किया और अपने बल, दिमाग और नीति के दम पर अपने पिता को इस राजा की कैद से रिहा करवा दिया.
अफजल खां से सबक सिखाया
बीजापुर के शासक ने अपने सेनापति अफजल खां को शिवजी को जिंदा या मुर्दा पकड़ने का आदेश दिया था. अफजल खां ने ये आदेश मिलने के बाद शिवाजी को मारने के लिए एक नीति तैयार की और इन्होंने शिवाजी के साथ सुलह के लिए मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान खां ने शिवाजी से गले मिलकर उन्हें मारने का सोचा. मगर शिवाजी ने इनकी ये चला नाकाम कर दी और खां इनको पकड़ नहीं पाएं.
मुगलों से टक्कर
छत्रपति शिवाजी की बढ़ती ताकत से मुगल राज्य के बादशाह औरंगजेब भी परेशान थे और उन्होंने भी शिवाजी के पकड़ने के लिए कई कोशिश की. कहा जाता है कि शिवाजी से औरंगजेब की हुई लड़ाई में औरंगजेब के बेटे की मौत हो गई थी. जबकि औरंगजेब की अंगुलियां भी इस युद्ध के दौरान कट गईं थी.
दयालु शासक भी थे
छत्रपति शिवाजी महाराज एक दयालु शासक भी थे और कहा जाता है कि इन्होंने कभी भी दुश्मनों को युद्ध हारने के बाद उसकी सेना के साथ बुरा व्यवहार नहीं किया. साथ में ही युद्ध में पकड़ी जाने वाली महिलाओं के साथ भी शिवाजी ने काफी बुरा बर्ताव नहीं किया.
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