अध्यात्म

जानिए क्यों पार्वती ने शिव, विष्णु, नारद, कार्तिकेय,रावण को दिया था श्राप

माता पार्वती जी से एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है और इस कथा के अनुसार माता पार्वती ने क्रोध में आकर भगवान शंकर सहित रावण, नारद,भगवान विष्णु, रावण और कार्तिकेय को श्राप दे दिया था. कहा जाता है कि इन सभी ने माता पार्वती के साथ एक छल किया था और इसी छल के चलते इन्होंने इन सभी को श्राप दिया था.

कहा जाता है कि एक बार भगवान शंकर और माता पार्वती एक दूसरे के साथ जुआ खेल रहे थे और इस जुआ में माता पार्वती ने शंकर भगवान को हारा दिया.जिसके चलते भगवान शंकर का सारा सामान माता पार्वती जीत गई और शंकर भगवान पत्तों के वस्त्र पहनकर गंगा के तट पर चले गए. वहीं जब शंकर भगवान और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को ये सब पता चला तो उन्होंने पार्वती मां के साथ जुआ खेल शंकर भगवान की सारी वस्तुएं पार्वती मां से जीत ली. इन वस्तुओं को जीतने के बाद कार्तिकेय ये सारा सामान लेकर शंकर भगवान के पास चले गए.

पार्वती से नाराज हुए शंकर भगवान

ये सब होने के बाद शंकर भगवान पार्वती से काफी नाराज हो गए थे और पार्वती मां ने अपने पुत्र गणेश को ये सब बात बताई. जिसके बाद गणेश जी शंकर भगवान को लाने के लिए चले गए. भगवान शंकर से मिल गणेश जी ने उनके साथ जुआ खेला और इसमें शंकर भगवान को हारा दिया. गणेश जी ने इस बात का समाचार पार्वती माता को दिया. जिसके बाद गणेश जी को माता पार्वती ने अपने साथ शंकर भगवान को लाने को कहा. माता पार्वती की बात सुनकर गणेश जी शंकर भगवान को लाने के लिए चले गए और उन्हें शंकर जी हरिद्वार में मिले जहां पर वो भगवान विष्णु और कार्तिकेय के साथ थे. गणेश जी ने शंकर जी से उनके साथ वापस कैलाश चलने को कहा. लेकिन शंकर भगवान ने मना कर दिया. हालांकि इसी दौरान विष्णु ने शंकर भगवान के कहने पर पासे का रूप ले लिया और फिर शंकर भगवान ने गणेश जी से कहा कि वो पार्वती जी के साथ फिर से जुआ नए पासे से खेलना चाहते हैं और अगर वो तैयार है तो वो वापस आ जाएंगे. शंकर जी की ये बात सुनकर गणेश जी ने हां बोल दी. वहीं इसी दौरान रावण जो कि शंकर भगवान के भक्त थे उन्होंने बिल्ली का रूप धारण कर गणेश जी के वाहन यानी मूषक को डरा दिया. जिसके चलते मूषक गणेश जी के बिना ही वहां से चले गया.

पार्वती के साथ खेला जुआ

वापस कैलाश आकर शंकर भगवान ने पार्वती के साथ फिर से जुआ खेलने को कहा, इस पर माता पार्वती ने शंकर भगवान से कहा कि उनके पास इस बार क्या चीज है जो कि वो जुआ पर लगाएंगे. इस पर नारद जी ने अपनी विणा शंकर भगवान को दे दी और कहा कि वो इसे जुआ खेलते हुए लगा दें. जिसके बाद इन्होंने जुआ खेलना शुरू कर दिया और शंकर भगवान से माता पार्वती हारने लगी. वहीं शंकर भगवान को जीतता देख गणेश जी समझ गए की पासे में कुछ गड़बड़ है और उन्हें पता चल गया कि भगवान विष्णु ने पासे का रूप धारण किया है. जिसके बाद उन्होंने ये बात पार्वती मां को बता दी और पार्वती जी को गुस्सा आ गया. गुस्सा आने के बाद इन्होंने सबसे पहले शंकर जी को श्राप दिया कि गंगा की धारा का बोझ उनके सिर पर हमेशा रहेगा. फिर उन्होंने नारद जी को श्राप देते हुए कहा कि वो किसी एक स्थान पर नहीं रहेंगे. इसके बाद भगवान विष्णु को श्राप देते हुए माता ने कहा कि रावण तुम्हारा शत्रु होगा और  रावण को श्राप देते हुए इन्होंने कहा कि विष्णु तुम्हारा विनाश करेगा और अंत में अपने पुत्र कार्तिकेय को श्राप देते हुए माता ना कहा कि वो हमेशा बाल रूप में रहेंगे.

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