पुलवामा: जमीन गिरवी रखकर पिता ने दिलाई थी बेटे को नौकरी, अगली बार आकर छुड़वाने वाला था लेकिन
हर मां-बाप का सपना होता है कि एक दिन उसका बेटा बड़ा होकर अच्छी नौकरी करेगा और उन्हें सहारा देगा. मां-बाप की उम्मीदें होती हैं कि नौकरी मिलने के बाद उसके घर की स्थिति में सुधार आएगा और उसका जीवन पहले से बेहतर हो जायेगा. इसी उम्मीद के साथ हर मां-बाप अपने बच्चे को अपना पेट काटकर पढ़ाते हैं. बच्चे एक दिन बड़े हो जाते हैं और नौकरी की तलाश में लग जाते हैं और परिवार के लिए नौकरी करने लगते हैं. पुलवामा अटैक में देश के 42 जवान शहीद हो गए हैं. 42 परिवार के चिराग अपने घरवालों को हमेशा के लिए अलविदा कह गए. शहीद होने वाले हर जवान की अपनी एक अलग कहानी थी और अपनी अलग-अलग मजबूरी. कोई सवा 4 महीने के बेटे और पत्नी को अकेला छोड़कर आया था तो किसी को अपनी बहन की शादी करवानी थी. किसी को अपना टूटा-फूटा घर बनवाना था तो किसी को मां का इलाज करवाना था. हमले के बाद इन जवानों की ये सारी ख्वाइशें अधूरी रह गयी. ऐसा ही कुछ हुआ है शहादत को प्राप्त हुए वाराणसी में रहने वाले एक जवान के परिवार के साथ. दरअसल, एक पिता ने अपने बेटे को पढ़ाने और उसे नौकरी दिलवाने के लिए अपनी जमीन गिरवी रख दी थी जिसे बेटा अगली बार आकर छुड़वाने वाला था. लेकिन अफसोस, अब न तो उस गरीब का बेटा वापस आएगा और जमीन तो अब भगवान भरोसे ही है.
खेती पर आश्रित है पूरा परिवार
शहीद रमेश यादव के पिता ने गरीबी के बावजूद अपने बेटे को पढ़ाया-लिखाया और देश के लिए नौकरी करने को कहा. श्याम नारायण बताते हैं कि रमेश को पढ़ाने और और सीआरपीएफ में भर्ती करने के लिए उन्होंने अपने घर के सामने की तीन बीघा जमीन को 5 लाख रुपये में गिरवी रखा था.
वह जानते थे कि सीआरपीएफ में भर्ती होने के बाद उनका बेटा इस जमीन को छुड़ा लेगा और घर की आर्थिक स्थिति भी सुधर जायेगी. इस बार जब रमेश छुट्टी पर आये थे तो उन्होंने पिता से कहा था कि अब परेशान होने की बिलकुल जरूरत नहीं है. वह अगली बार आकर गिरवी रखी जमीन को छुड़वा लेंगे. लेकिन अब बेटे की शहादत के बाद पिता श्याम नारायण का रोते-रोते बुरा हाल है. शायद अब गिरवी रखी हुई जमीन कभी मुक्त नहीं हो पाएगी. घर का खेवनहार तो बीच मंझदार में ही छोड़ कर अनन्त यात्रा पर चला गया.
पत्नी को मिला 10 लाख का चेक
शहादत की खबर मिलते ही रमेश यादव के घर जीवन बीमा निगम की टीम सरकारी अधिकारियों से पहले पहुंच गयी. दरअसल, भारतीय जीवन बीमा के एजेंट ने सात अक्टूबर 2017 को रमेश का 5 लाख का जीवन बीमा किया था. खबर मिलते ही वरिष्ठ अधिकारियों ने कागज़ी कार्रवाई शुरू की और शुक्रवार शाम तक शहीद की पत्नी को 10 लाख रुपये का चेक पकड़ा दिया. लेकिन अब सवाल ये है कि 10 लाख रुपये से इस परिवार को जिंदगीभर का जो दुख मिला है उसकी भरपाई हो पाएगी?