शनिवार के दिन अगर करते हैं इन चीजों का दान तो हो जाएं सावधान, शनिदेव हो जाएंगे क्रोधित
दान देना हमेशा से ही बहुत पुण्य का काम माना गया है। हिंदू धर्म में दान बहुत ही खास माना जाता है। मानव को एक दूसरे की सहायता के लिए ही बनाया गया है। अक्सर लोग मौके बेमौके भी दान करते रहते हैं। कहते हैं जितना आफ दान करते हैं भगवान आपको उससे ज्यादा दे देता है। शनिदेव को कर्म दाता कहा जाता है। शनिदेव व्यक्ति तो कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। अगर शनिदेव की कृपा पानी हो तो कुछ चीजों का दान करना जरुरी है हालांकि दान करना जीतना जरुरी है उतना ही ये समझना भी जरुरी है कि कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिनका दान भूलकर भी शनिवार को नहीं करना चाहिए।
पीला सामान
पीला वस्त्र या पीले रंग से जुड़ी चीज को बहुत ही शुभ माना जाता है। यहां तक की पूजा पाठ में भी पीले रंग का इस्तेमाल खूब किया जाता है। हालांकि पीले रंग का दान या फिर इस्तेमाल शनिदेव के किसी भी काम में नहीं करना चाहिए। पीली चीजों का संबंध बृहस्पति ग्रह से होता है। शनि और ब्रहस्पति आप स में शत्रु भाव रखते है, इसलिए शनिवार को पीली चीजों का दान नहीं करना चाहिए।
सफेद
पीले वस्त्रों और पीले सामान से ही नहीं बल्कि सफेद चीजें भी शनिदेव को पसंद नहीं होती हैं।सफेद का संबंध भी चंद्रमा से होता है। चंद्रमा औऱ शनि की आपस में नहीं बनते और वह एक दूसरे से क्रोधित से रहते हैं, इसलिए शनिदेव की पूजा में भूलकर भी सफेद चीजें नहीं चढ़ाना चाहिए और ना ही शनिवार को सफेद चीजों का दान करना चाहिए। शनिदेव को प्रसन्न करना हो तो सफेद चीजों का इस्तेमाल उनके पूजा पाठ में ना करें।
लाल
शनिवार के दिन किसी को भी लाल वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए। दरअसल लाल रंग को सूर्य ग्रह से संबंधित माना जाता है। सूर्य शनिदेव के पिता हैं, लेकिन उनमें हमेशा से शत्रुता का भाव रहा, इसलिए शनिवार के दिन किसी को भी लाल चीज का दान ना करें और ना ही शनिदेव की पूजा पाठ में लाल वस्त्रों और सामान का इस्तेमाल ना करें। भूलकर भी शनिदेव को लाल फूल भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
शनिदेव की पूजा पाठ में कई तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए। शनिदेव जब पूजा से प्रसन्न हो जाते हैं तो बड़ी कृपा बरसाते हैं, लेकिन अगर कोई भूल-चुक हो जाए तो उसका असर भी शनिदेव से देखने को मिलता है।शनिदेव के प्रकोप से कोई बचा सकते हैं तो वो हैं सिर्फ हनुमान जी। शनिदेव को घमंड था कि वह बहुत ही ताकतवर हैं। इस कारण घमंड में उन्होंने हनुमान जी को युद्ध की चुनौती दे दी। जब दोनों के बीच युद्ध हुआ तो हनुमान जी ने शनिदेव को बहुत मार पड़ी। जब वह दर्द से चीखने लगे तो हनुमान जी परेशान होने लगे। उन्होंने सरसों का तेल शनिदेव को लगाया तो उन्हें फिर आराम मिला। इसके बाद से शनिदेव की पूजा में सरसों के तेल का इस्तेमाल शुरु हो गया। शनिदेव को अगर प्रसन्न करना हो तो उड़द दाल, सरसों का तेल और काले तिल का इस्तेमाल करें।
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