क्या आप जानते हैं कि हिन्दू देवी-देवताओं के वाहन पशु-पक्षी ही क्यों होते हैं, नहीं? तो जाने यहाँ!
हिन्दू धर्म में लगभग 84 करोड़ देवी-देवता हैं। लेकिन जीतने भी देवी-देवता हैं, सबके वाहन पशु-पक्षी ही हैं। क्या आपने इस बात पर कभी विचार किया है कि ऐसा क्यों है? अगर नहीं! तो कोई बात नहीं, आज हम आपको यहाँ बता रहे हैं कि आखिर क्यों देवी-देवताओं ने अपने वाहन के लिए पशु-पक्षियों को ही चुना है।
दरअसल पशु-पक्षी इस पृथ्वी की सबसे अनोखी रचना है। इनसे इंसान को सीख लेनी चाहिए। यह हर तरह से हमारे लिए उपयोगी होते हैं। यह इंसान की कई समस्याओं को भी दूर करते हैं। आइये जानते हैं कि यह किस तरह से इंसानों के लिए मददगार साबित होते हैं और हम इनसे किस प्रकार सीख ले सकते हैं।
*- बैल:
शिव जी के वाहन बैल के बारे में तो आप जानते ही हैं कि यह किसानों का मित्र होता है। बैल बहुत मेहनती होता है, इसके अन्दर गजब की ताकत होती है और यह बहुत ही शांत रहने वाला जानवर होता है। इसकी जरूरतें भी बहुत कम होती हैं। आज के आधुनिक युग से पहले किसान अपनी खेती का काम बैल की मदद से ही करते थे। आज भी कई जगहों पर बैल से खेती की जाती है।
*- शेर:
यह माँ दुर्गा का वाहन है, यह बहुत ही ताकतवर होता है। इसी वजह से यह जंगल का राजा होता है। शेर के सभी अंगों को तंत्र के काम में प्रयोग किया जा सकता है। ऐसा करने से व्यक्ति की धन सम्बन्धी समस्या दूर हो जाती है। हालांकि इस समय इसके ऊपर प्रतिबन्ध लग चुका है। शेर को शक्ति का प्रतिक माना जाता है, क्योंकि यह बहुत ताकतवर होता है।
*- मोर:
यह शंकर भगवन के पुत्र कार्तिकेय का वाहन है। मोर पंख घर में रखने से साँप, बिच्छू घर में प्रवेश नहीं करते हैं। मोर बहुत ही सुन्दर पक्षी होता है। इसकी सुन्दरता से मुग्ध होकर भगवन श्री कृष्ण इसके पंख को हमेशा अपने सर पर धारण करते थे।
*- चूहा:
चूहा बहुत ही चंचल जानवर होता है, यह भगवन गणेश की सवारी है। चूहा अपनी चंचलता के कारण बिना वजह ही किसी भी चीज को कुतर डालता है। इससे यह बात सिखने को मिलती है कि अज्ञानी व्यक्ति अपने कुतर्कों की वजह से हर बात पर बहस करते रहते हैं। इसकी सवारी करना किसी और के बस की बात नहीं है, इसे केवल भगवन गणेश ही कर सकते हैं।
*- साँप:
यह एक जहरीला सरीसृप है। आपने देखा होगा भगवन शंकर साँप को अपने गले में आभूषण की तरह पहनते हैं और भगवन विष्णु ने इसको अपना आसन बनाया हुआ है। यह किसानों के अनाज के दुश्मन चूहों का भक्षण करता है। इस तरह से यह किसानों की काफी मदद करता है।
*- हंस:
यह माँ सरस्वती का वाहन है, यह उनकी ही तरह काफी बुद्धिमान होता है। हँस ही एक ऐसा पक्षी है जो पानी में मिले हुए दूध में से दूध को पी लेता है और पानी को छोड़ देता है। इससे इंसानों को एक सीख मिलती है कि हमेशा अच्छी बातों को ग्रहण करना चाहिए और बुरी बातों का त्याग करना चाहिए।
*- उल्लू:
धन की देवी माँ लक्ष्मी का वाहन उल्लू होता है। यह रात में ही देख सकता है, इसके बारे में कहा जाता है कि यह रात के अँधेरे में भी किसी व्यक्ति के दांत को गिन लेता है। यह बहुत मेहनत करता है, अर्थात जो लोग मेहनत करते हैं, केवल उन्हें ही धन की प्राप्ति होती है। देवी लक्ष्मी की एक और सवारी है, हाथी। हाथियों में महिला हाथी ही समूह का नेतृत्व करती है। इससे एक बात साफ़ हो जाती है कि जहाँ महिलाओं का सम्मान होता है माँ लक्ष्मी की कृपा वहीँ होती है।
*- भैंसा:
भैंसा मृत्यु के देवता यमराज का वाहन है। भैंसा बहुत ही शक्तिशाली होता है और समूह में रहना पसंद करता है। क्योंकि इसे समाज का मतलब पता होता है और यह एकता की ताकत से परिचित होता है। जंगल में भैंसे अपने परिवार की शेर से रक्षा ऐसे ही करते हैं। इससे इंसानों को एकता का सन्देश मिलता है।