अध्यात्म

इंसान को हमेशा खुद की बुराइयों को देखना चाहिए ना कि किसी और की। इस कहानी से लें कुछ सीख!

हर इंसान खुश और सुखी रहना चाहता है। वह चाहता है कि वह जहाँ भी रहे हर जगह सभी लोग उसी की तारीफ़ करें। लेकिन वह भूल जाता है कि उसके अन्दर बहुत सारे दोष हैं, बिना उनका त्याग किये उसकी प्रशंसा नहीं हो सकती है। सही कहा जाता है कोई भी इंसान एकदम परफेक्ट नहीं होता है, लेकिन कुछ लोग होते हैं जो बिलकुल भी सही नहीं होते हैं। उन्हें अपने द्वारा की गयी गलतियों का अहसास ही नहीं होता है और दूसरों की छोटी से छोटी गलती पर उनकी नज़र रहती है।

खुद की गलतियों पर रखना चाहिए ज्यादा ध्यान:

विद्वान लोग कहते हैं कि इंसान को दूसरों की गलतियों से ज्यादा खुद की गलतियों पर ध्यान देना चाहिए। अगर जिस दिन से इंसान अपनी गलतियों को स्वीकारना सीख जायेगा उस दिन से उसका जीवन बदल जायेगा। क्योंकि वह खुद की गलती स्वीकारकर उसे सुधारने का प्रयत्न करेगा। अपनी गलतियों को ध्यान में रखकर उसे सुधारने के बाद वह एक आदर्श इंसान बन जायेगा। आज इस बात को हम एक कहानी के माध्यम से बताएँगे।

पड़ोसी की बुराइयों को कभी मत देखना और ना ही दिखाना:

श्रृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी को कौन नहीं जनता है। इन्होने ही सारी श्रृष्टि की रचना की है। एक बार ब्रह्मा जी ने एक इंसान को बुलाकर उससे पूछा कि, “तुम्हें क्या चाहिए?” उस मनुष्य ने कहा कि, “मैं सुख-समृद्धि चाहता हूँ, उन्नति चाहता हूँ और सब लोग मेरी प्रशंसा करें ये भी चाहता हूँ।“ ब्रह्मा जी ने उस मनुष्य को दो थैले देते हुए कहा, “इसमें तुम्हारे पड़ोसी की बुराइयाँ हैं। इसे पीठ पर टांग लो और इसे कभी खोलकर ना खुद देखना और ना ही दूसरों को दिखाना। दुसरे थैले में तुम्हारे अपने दोष हैं इसे सामने टांग लो, इसे हमेशा देखते रहना।

इंसान ने उल्टा किया और दुःख का भागी बना:

इंसान वापस आ गया और ब्रह्मा जी की कही गयी बात के उलट उसने अपनी बुराइयों का थैला पीठ पर टांग लिया और अपने पड़ोसी की बुराइयों वाले थैले को सामने लटका लिया। वह अपने पड़ोसी के बुराइयों को खुद भी देखता और दूसरों को भी दिखाता था। ऐसा करने से जो उसने ब्रह्मा जी से वरदान माँगे थे वो उल्टे हो गए। धीरे-धीरे उसकी अवनति होने लगी, वह दुखों और तकलीफों से घिर गया।

पड़ोसी की बुराइयों को देखने से होती है समय की बर्बादी:

कहानी का तात्पर्य यही है कि इंसान को हमेशा खुद की बुराइयों को देखना चाहिए ना कि किसी और की। अगर वह अपनी बुराइयों को देखता है तो वह उसे सुधारने की कोशिश करता है, जबकि पड़ोसी की बुराइयों को देखने से केवल समय की बर्बादी ही होती है। इसलिए इंसान को हमेशा खुद की बुराइयों पर ध्यान देना चाहिए।

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