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बंगाल में सांप्रदायिक दंगेः राजदीप सरदेसाई का ट्वीट – बेवकूफ लोग चाहते है मैं इसपर न्यूज़ दिखाऊ

नई दिल्ली – अगर आपको अभी तक पता न हो तो हम आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में दंगे भड़के हुए हैं, जिसकी शुरुआत 12 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना ज़िले से हुई, जहां कथित तौर पर मुहर्रम के जुलूस में बम फेंका गया और हिंसक भीड़ ने हिंदुओं के घरों को जला दिया और हिंसे की आग 5 ज़िलों में फैल गई। पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना, हावड़ा, पश्चिमी मिदनापुर, हुगली और मालदा जिले अभी भी हिंसाग्रस्त हैं। अब आपको इस पूरी घटना के पीछे हो रही राजनीति के बारे में भी बता देते हैं। क्योंकि अब इस देश में किसी भी घटना पर राजनीति न हो ऐसा रहा नहीं। धार्मिक चश्मा पहनकर संपादकीय फैसले लेना अब हमारे देश के तमाम बुद्धिजीवी पत्रकारों का ट्रेंड बन गया है। Rajdeep sardesai tweet on Bengal riots.

राजदीप सरदेसाई ने हिन्दुओं को कहा “बेवकूफ” –

देश के कुख्यात पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कहा है की, पश्चिम बंगाल में जो हिन्दुओं पर हमले हुए है वह चैनल पर दिखाने लायक ख़बर नहीं है। हम हिन्दुओं के खिलाफ दंगो की कोई न्यूज़ नहीं दिखाएंगे। राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर रहा है कि “बेवकूफ चाहते है मैं बंगाल दंगो पर न्यूज़ दिखाऊ।” 

Rajdeep sardesai tweet on Bengal riots

राजदीप सरदेसाई का कहना है की नफरत फ़ैलाने वाले लोग यानि हिंन्दू मेरा मोबाइल नंबर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। गौरतलब है की कुछ दिनों से बंगाल में हिंसा का माहौल है। उपद्रवी लोगों के घरो में घुस कर लूटपाट और तोड़ फोड़ कर रहे है परंतु राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार ख़बरों को धार्मिक चश्मे से देखते हैं, इसीलिए ये चैनल या अख़बार ऐसी ख़बरों के मामले में अपने फायदे देखते हैं। सवाल यह है कि क्या किसी हिंसक घटना को धार्मिक नज़रिए से देखना जायज़ है।

मीडिया नहीं दिखा रहा यह ख़बर –

वर्ष 2002 गुजरात दंगा, वर्ष 2014 मुजफ्फरनगर दंगा और वर्ष 2015 में दादरी हत्याकांड के विरोध में पूरा देश एक जुट दिखाई दिया। सबको इन दंगों में पीडित लोगों का दर्द दिखा। अवॉर्ड वापसी की मुहिम हो या फिर असहनशीलता पर विवाद देश के हर कोने में इसकी गूंज सुनाई दी। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि देश कि बुद्धिजीवी मीडिया को सिर्फ गुजरात और दादरी के दंगे ही दिखाई देते हैं। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में गत रविवार को हुई हिंसक झड़प पर सारा देश चुप है और बुद्धिजीवी मीडिया को तो सांप सुंघ गया है। हमारे देश के सेक्यूलर मीडिया को बस दंगों में मुस्लिमों के दर्द ही दिखाई देते हैं। न तो वे मुज़फरनगर पर खुलकर कुछ बोलते हैं न तो पश्चिम बंगाल पर। उन्हें तो बस गुजरात और दादरी में हुए दंगों में विशेष समुदाय का दर्द ही दिखाई देता है।

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