हरसिद्धि मां का चमत्कारी मंदिर, जहां 2 हजार सालों से जल रही है अखंड ज्योति
मध्यप्रदेश राज्य में एक ऐसा मंदिर स्थित है जहां पर एक ज्योति हजारों सालों से जल रही है और ये ज्योति एक बार भी बुझी नहीं हैं. इस चमत्कारी ज्योत को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं और खास कर नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में खूब भक्त आते हैं. ये मंदिर हरसिद्धि मां का है और ये मंदिर मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले से कुछ किलो मीटर की दूरी पर स्थित बीजानगरी में है.
क्या है खास इस मंदिर में
मां हरसिद्धि का ये मंदिर बेहद ही चमत्कारी है और इस मंदिर में जल रही ज्योति 2 हजार सालों से लगातार जल रही है और ये ज्योति हवा चलने पर भी नहीं बुझती है. ये ज्योति तेल से जलती है और इस ज्योंति को जलाने के लिए हर महीने डेढ़ क्विंटल तेल लग जाता है. इसके अलावा इस मंदिर में आने वाले लोगों का ये भी कहना है कि इस मंदिर में कई तरह के चमत्कार भी होते हैं.
माता के तीन रूप दिखाई देते हैं
इस मंदिर में आने वाले भक्तों की माने तो इस मंदिर में उन्हें दिनभर में मां के तीन रूप के दर्शन होते हैं. इस मंदिर में रखी गई मां की मूर्ति सुबह बचपन का रूप दिखाती हैं और दोपहर को जवानी का. इसी तरह से शाम के समय मां की मूर्ति बुढापे के रूप को दिखाती है.
मंदिर से जुड़ी कहानी
उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की तरह ही उनके भानजे विजयसिंह भी मां हरसिद्धि के बहुत बड़े भक्त हुआ करते थे और वो हर रोज इन मां के उज्जैन में स्थित एक मंदिर में जाया करते थे. ये माता के इतने बड़े भक्त थे कि ये मां के दर्शन करने के बाद ही खाना खाया करते थे. एक दिन मां के दर्शन करने के बाद जब विजयसिंह वापस अपने घर आए तो रात को इनके सपने में माता रानी आई. माता रानी ने इन्हें सपने में आकर कहा कि ये बीजानगरी में उनका एक मंदिर बनवा दें और उस मंदिर का दरवाजा केवल पूर्व दिशा में रखें. जिसके बाद राजा ने इस जगह पर मंदिर बनवा दिया. वहीं मंदिर बनने के बाद फिर से मां इनके सपने में आई और मां ने इनसे कहा कि वो इस मंदिर में विराजमान हो गई हैं. साथ में ही मां ने कहा कि उन्होंने इस मंदिर का दरवाजा पूर्व की जगह पश्चिम में कर दिया है. इस सपने से जागने के बाद राजा तुरंत मंदिर गए और उन्होंने देखा कि मां की बात सच साबित हुई और उस मंदिर का दरवाजा दूसरी दिशा में हो गया था.
बनाए जाते हैं स्वस्तिक
जिन लोगों की कोई मनोकामना होती है वो लोग इस मंदिर में आकर गोबर से एक स्वस्तिक बनाते हैं और ये स्वस्तिक उल्टा बनाया जाता है. वहीं जैसे ही मनोकामना पूरी हो जाती है तो इस मंदिर में वापस आकर सीधा स्वस्तिक बनाया जाता है. जबकि नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर पर घट का स्थापना करने के बाद, इस मंदिर में अष्टमी तक कोई भी नारियल नहीं फोड़ा जाता है. ये मंदिर कितना प्रसिद्ध है इसका अंदाजा आप इस चीज से भी लगा सकते हैं कि इस मंदिर में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी आकर अपना माथा टेक हुआ है और माता से आशीर्वाद लिया हुआ है.