पाकिस्तान में मौजूद ये 4 हैं चमत्कारी मंदिर, एक मंदिर तो शिव के आंसुओं से हैं निर्मित
भारत और पाकिस्तान पहले एक ही देश थे ये बात तो हर कोई जानता है। जब विभाजन हुआ तो भारत की कुछ एतिहासिक चीजें भी पाकिस्तान के हिस्से में आ गईं। हिंदूस्तान से अगल होने के बाद पाकिस्तान ने बहुत से मंदिरों को धवस्त कर दिया था या फिर उपेक्षित छोड़ दिया गया था, लेकिन आज भी सनातन परंपरा से जुड़े कई मंदिर हैं जो पाकिस्तान में आज भी मौजूद हैं औऱ सुरक्षित हैं। इनका अपना एक अलग महत्व है। इन मंदिरों में दर्शन करने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।
हिंगलाज माता मंदिर
हिंदुओं में मंदिरों की जब भी बात होती है तो सबसे पहले शक्तिपीठ का नाम सामने आता। पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में शक्तिपीठ स्थित है। आद्यशक्ति के इस मंदिर का हिंगलाज माता का मंदिर कहते हैं। इस मंदिर की देखरेख सिर्फ हिंदू समुदाय के लोग नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी करते हैं। मुस्लिम समुदाय भई इस मंदिर की महिमा से अंचभित रहता है। 51 शक्तिपीठों मे से एक हिंगलाज माता की मंदिर यात्रा के दौरान आपको वैष्णो माता के मंदिर का भी आभाष होगा। इसका रास्ता भी दुर्गम रास्तों से होतो हुए ऊंची पहाडियों पर गुफा में स्थित हैं।
हिंगलाज की मान्यता ऐसी है कि जो एक बार इस मंदिर के दर्शन कर लेता है उसे पूर्व जन्म के पापों दंड नहीं भुगतना पड़ता। ऐसा कहा जाता है कि परशुराम जी 21 बार क्षत्रियों का अंत किया था तो कुछ क्षत्रियों ने बचने के लिए माता हिंगलाज से अपनी जान की रक्षा की गुहार लगाई थी जिसके बाद से उन्हें ब्रह्मक्षत्रिय बना दिया गया था और परशुराम से अभय दान मिल गया था।
हनुमान मंदिर
पाकिस्तान के कराची में हनुमान मंदिर है जहां की मान्यता है कि यहां पर विराजमान हनुमान जी पिछले 17 लाख वर्षों से अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां जो भी व्यक्ति गुहार लगाता हुआ माता के मंदिर में चला आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।यहां पर दर्शन प्रार्थना के लिए सिर्फ पाकिस्तानी हिंदू ही नहीं बल्कि भारतीय हिंदू भी आते हैं। संकटमोचक श्री हनुमान जी के इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां बालाजी की प्रतिमा जमीन से प्रकट हुई थी।
कटसराज मंदिर
पाकिस्तान मे बसा शिव मंदिर यहां पर बहुत ही लोकप्रिय है। यहां दूर दूर से देश दुनिया के ग शिव मंदिर का दर्शन करने आते हैं।भगवान शिव का ये पौराणिक मंदिर पाकिस्तान के चकवाल गांव से करीब 40 किमी की दूरी पर कटस नाम के एक पहाड़ पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में यक्ष और युद्धिष्ठिर के बीच संवाद यहीं पर हुआ था। कटसराज मंदिर के कुंड के बारे में माना जाता है कि ये भगवान शिव के आसुओं से बना हुआ है। दरअसल जब सती की ने खुद को अग्निकुंड में भस्म कर लिया था। उस वक्त शिव से बहुत दुखी हुए थे और उनके जो आसूं गिरे थे उसी से ये कुंड बना था। इस पावन कुंड में स्नान करने से सारे पाप धूल जाते हैं।
माता गौरी का मंदिर
माता गौरी का मंदिर भी हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र हैं। ये मंदिर सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में स्थित है। मुस्लिम बाहुल्य इस क्षेत्र में कई सारे हिंदू देखने को मिलति है। इन्हें पाकिस्तान में थानी हिंदू कहते हैं। इस मंदिर के पास जो कुआं हैं उसे चमत्कारी माना जाता है। माना जाता है कि इस कुएं को मां गौरी का आशीर्वाद मिला है और वह कभी सूखता नहीं।
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