अध्यात्म

नंदी का दिया गया श्राप बना था रावण के सर्वनाश की वजह, इस वजह से दिया था श्राप

रावण को शिव जी भगवान के सबसे बड़े भक्तों में गिना जाता हैं और कहा जाता है कि रावण, शिव जी की पूजा में हमेशा ही लीन रहते थे. इन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई सारी पूजा और तप भी किए थे.  इतना ही नहीं  इन्होंने ही शिव तांडव स्त्रोत की रचना भी की थी, जो कि शंकर भगवान की पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाला सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है. मगर क्या आपको पता है कि रावण का सर्वनाश शंकर भगवान के प्रमुख गण माने जाने वाले नंदी के कारण ही हुआ था और नंदी द्वारा रावण को दिया गया श्राप रावण के लिए विनाशकारी साबित हुआ था.

आखिर कौन थे नंदी

रावण की तरह ही नंदी भी भगवान शिव जी का प्रिया भक्त था और नंदी ने कड़ी तपस्या करके शंकर को प्रसन्न किया था. जिसके बाद भगवान शंकर ने इन्हें अपना द्वारपाल और वाहन बनाया था. कहा जाता है कि नंदी शिलाद ऋषि के बेटे थे और नंदी को पाने के लिए इनके पिता ने तपस्या की थी और तपस्या के सफल होने के बाद इन्हें नंदी पुत्र के रूप में प्राप्त हुआ था. वहीं नंदी बचपन से ही शिव जी के भक्त हुआ करते थे और एक दिन नंदी ने शिव जी से मिलने के लिए घोर तप शुरू कर दिया था. नंदी के इस तप को देखकर शिव जी भगवान काफी खुश हुए और उन्होंने नंदी को दर्शन दिए. शिव जी के दर्शन पाते ही नंदी काफी प्रसन्न हो गए थे और जब शिव जी ने नंदी से वदरान मांगने को कहा, तो नंदी ने  शिव जी से कहा कि वो उनके साथ रहना चाहते हैं. नंदी के द्वारा मांग गए इस वरदान को शिव जी ने पूरा कर दिया और उनको बैल का चेहरा दे दिया और अपना  वाहन बना लिया. इसके साथ ही नंदी को शिव जी अपने साथ कैलाश ले गए और वहां जाकर शिव जी ने इन्हें अपने द्वारपाल भी बना दिया. जिसके चलते जो भी शंकर भगवान से मिलने आया करता था उसे सबसे पहले नंदी से मिलना पड़ता था.

रावण को दिया श्राप

कहा जाता है कि एक बार रावण शिव जी से मिलने के लिए उनके निवास यानी कैलाश आए और कैलाश में आते ही रावण का सामना सबसे पहले नंदी से हुआ. नंदी को देखकर रावण को हंसी आ गई. क्योंकि नंदी का रूए एक बैल की तरह था. वहीं रावण को अपने पर हंसता देख नंदी को गुस्सा आ गया और नंदी ने गुस्से में आकर रावण को श्राप देते हुए कहा कि तेरा विनाश किसी वानर के जरिए ही होगा और तु तबाह हो जाएगा.

हालांकि नंदी के दिए गए इस श्राप पर रावण ने उस वक्त ज्यादा गौर नहीं किया था. लेकिन आगे चलकर रावण का वध और रावण के राज्य को तबाह करने में राम जी का साथ हनुमान सहित कई सारे वानरों ने दिया था और इस तरह से नंदी का दिया गया ये श्राप सच्च हो गया और रावण का विनाश करने में वानरों का अहम योगदान रहा.

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