Spiritual

मध्य प्रदेश का एक ऐसा मंदिर जहां पानी से जलता है दीपक, विज्ञान भी है हैरान

न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: वैसे तो ये दुनिया चमत्कारों से भरी हुई है। हमेशा ही यहां पर कुछ ऐसा होता है जिस पर लोग विश्वास नहीं कर पाते हैं। अगर बात आस्था की की जाए तो भारत में भगवान पर आस्था और श्रृद्धा रखने वाले कई लोग हैं। वैसे तो भगवान को किसी ने नहीं देखा है लेकिन वो हैं इस बात का संकेत हमेशा मिलता ही रहता है। जिस वजह से भक्तों में उनकी आस्था और भक्ति बनी रहती हैं। भगवान के दर पर जाकर ज्योति जलाकर अपनी मनोकामना तो आपने भी मांगी होगी। लेकिन क्या आपने कभी कोई ऐसा दीपक जलाया है जो पानी से जलता हो?

सुनकर आप को भी आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन ये बात बिल्कुल सही है और ये चमत्कारी घटना घटी है मध्य प्रदेश के एक गांव में जहां पर मंदिर का दीपक घी या तेल से नहीं बल्कि पानी से जलता है और ऐसा सालों से होता आ रहा है। तो चलिए आपको बताते हैं कहां हैं ये मंदिर और क्या है इसकी खासियत।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में गड़ियाघाट वाली माताजी के नाम से एक मंदिर मशहूर है। यह मंदिर कालीसिंध नदी के किनारे आगर-मालवा के नलखेड़ा गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर गाड़िया गांव के पास स्थित है। ऐसा बताया जा रहा है कि इस मंदिर में माता के दर पर जो दीपक जलता है उसमें घी या तेल नहीं बल्कि पानी डाला जाता है। और यह दीपक लगातार जलता रहता है।

बता दें कि इस मंदिर के पुजारी ने इस बात का दावा किया है कि एक बार उनके सपने में माता रानी ने दर्शन दिया था और उनसे कहा था कि मंदिर का दीपक को किसी घी, मोम या तेल से जलाने के बजाए नदी के पानी से जलाओं जिसके बाद मंदिर के पंडित ने भी ऐसा ही किया और मंदिर के दिए में नहीं का पानी डाल कर जैसे ही माचिस उसके करीब ले गए तो वो दीपक उसी तरह से जलने लगा जैसा घी से जलता था। ऐसा होने पर पुजारी खुद भी घबरा गए और करीब दो महीने तक उन्होंने इस बारे में किसी को कुछ नहीं बताया।

लेकिन कुछ समय बाद उसने वहां के कुछ ग्रामीणों को इसके बारे में बताया, पहले तो किसी को भी इस बात पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब उन्होंने भी दीए में पानी डालकर ज्योत जलाई तो ज्योति सामान्य रूप से जल उठी। उसके बाद से इस चमत्कार के बारे में जानने के लिए लोग यहां काफी संख्या में आते हैं।

बता दें कि पानी से जलने वाला दीपक वैसे तो हमेशा ही जलता रहता है लेकिन बरसात के मौसम में ये दीपक बुझ जाता है। क्योंकि बरसात के मौसम में कालीसिंध नदी का जल स्तर बढ़ने से यह मंदिर पानी में डूब जाता है। जानकारों की मानें तो ऐसा बताया जा रहा है कि जब इस मंदिर के दीपक में पानी डाला जाता है तो वह चिपचिपे तरल पदार्थ में बदल जाता है और दीपक जल उठता है।

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