घोड़े पर सवार बारात लेकर पहुंची दुल्हन तो आरती की थाली के साथ दूल्हे ने किया स्वागत, ये थी वजह
हिंदू धर्म में शादी में कई तरह के रस्म रिवाज होते हैं जो विवाह को पवित्र बनाते हैं। इनमें कई बार थोड़े बहुत बदलाव होते हैं, लेकिन कुछ चीजें हैं जो वो भी नहीं बदलती है जैसे दूल्हे का बारात लेकर दुल्हन के घर जाना। हालांकि एक विवाह ऐसा भी हुआ जहां पर ये रस्म बिल्कुल ही अनोखे अंदाज में निभाई गई। यहां पर दुल्हन घोड़े पर बैठकर बारात लेकर आई औऱ दूल्हे के घर पहुंची। वहीं दूल्हे ने आरती की थाली के साथ दुल्हन का स्वागत किया। ये अपने आप में एक अनोखी शादी रही। आइये जानते हैं क्या है इसकी वजह।
बारात लेकर पहुंचा दुल्हन
ये मामला है बुलंदशहर के स्याना कस्बेका। य़हां पर चौहान परिवार में उनकी बेटी राधा की शादी तय हुई। शादी के वक्त जो भी रुढ़िवादी परंपरा थी वो सब इस शादी में बदल दी गई थी। राधा की शादी दिल्ली के जीटीवी नगर में रहने वाले सनी चौहान के साथ 13 दिसंबर को हुई और वो भी एक हटके अंदाज में। इस शादी ने लोगों के सामने एक मिसाल पेश की औऱ पूरीति रिवाज से खुद को अलग किया।
दरअसली सनी चौहान दिल्ली से अपना बारात लेकर स्याना के नवाब फॉर्म हाउस पहुंचे। हालांकि उनकी बारात पहुंचने से पहले ही राधा के पिता बॉबी ने अपने बेटी की बारात निकलवा दी। बॉबी ने पंजाब के अमृतसर से स्पेशल खालसा बैंड भी मंगवाया। इसके बाद राधा घोड़ी पर बैठी और बारात उठी। बारात पर फूलों की वर्षा की गई और दुल्हन की बग्गी पे भी आगे फूल सजाए गए थे। इसके बाद शानदार आतिशबाजी के साथ राधा की बारात निकली। हर कोई घोड़े पर सवार दुल्हन को देखकर हैरान रह जा रहा था। (यह भी पढ़ें : अमृतसर का स्वर्ण मंदिर)
दूल्हे ने किया स्वागत
जब नाचते गाते राधा की बारात फॉर्म हाउस पहुंची तो दूल्हे ने बिना किसी देरी के खुद आगे बढ़कर बारात का स्वागत किया। ये नजारा देखकर तो हर किसी की आंखे खूल रह गईं। इसके बाद दोनों की बड़े ही धूमधाम से जयमाल की रस्म हुई और पूरे रीति रिवाज से दोनों की शादी हुई। शादी खत्म होने के बाद दुल्हन बनी राधा दूल्हे सनी के साथ दिल्ली अपने ससुराल चली आई।
ऐसा सबकुछ संभव इसलिए हो पाया क्योंकि राधा के पिता और होने वाली पति दोनों की हो सोच ऊंची थी। राधा के पिता बॉबी ने कहा कि उनकी बेटी किसी भी मामले में बेटों से कम नही है। जब बेटों की शादी होती है तो उन्हें शान से घोड़े पर बैठाया जाता है। उन्होंने कहा कि मैंने सोचा जब बेटों के घोड़े चढ़ने की परपंरा है तो बेटियों की क्यों नहीं। उन्होंने समाज में ये संदेश दिखाने के लिए कहा कि बेटियां भी बेटों से आ हैं। इस वजह से राधा को घोड़े पर बैठाया और बारात आयोजित करने का फैसला किया।
इतना ही नहीं राधा के पिता का ये भी मानना था कि बेटियों को कन्यादान नहीं करना चाहिए क्योंकि बेटियां हमारे जीवन का अमूल्य हिस्सा होती हैं, कोई उन्हें दान करने के बारे में कैसे सोच सकता है। राधा के छोटे भाइयों ने कहा कि बहन ने मां के गुजरने के बाद मां जैसा ही प्यार दिया। बारात और घुड़चढ़ी का आईडिया हम सबका था। गौरतलब है कि आज के समय में जब बेटियां अंतिम संस्कार तक कर रही हैं तो फिर वह बारात भी जा सकती हैं। ऐसी सोच से लोगों को सबक लेना चाहिए औऱ अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए।
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