राधा से प्रेम करने के बाद भी कृष्ण ने नहीं किया उनसे विवाह और रुकमणी को बनाया पत्नी, ये थी वजह
प्यार का महीना है औऱ प्यार का मौसम भी है। प्यार को भले ही लोग मॉडर्न मानते हों, लेकिन इसके किस्से तो सदियों पूराने हैं। प्रेम का कोई रुप है तो वो राधा औऱ कृष्ण जो दो होकर भी दो नहीं थे। श्रीकृष्ण रास रचैया थे तो राधा सुंदरता की मूरत। आज भी किसी मंदिर में कृष्ण का दर्शन करेंगे तो उनके साथ राधा मौजूद होंगी। राधा उनके बचपन का प्यार थीं और उनकी सहेली इसलिए सभी को इस बात पर हैरत होती है कि मानव का निर्माण करने वाले खुद भगवान कृष्ण की ऐसी क्या मजबूरी थी जो वह राधा से विवाह नहीं कर पाए थे। राधा की जगह पत्नी का दर्जा कृष्णा ने रुक्मणी को दिया था। आपको बताते हैं वो असल बात जिसकी वजह से कृष्ण ने राधा से ना विवाह कर रुक्मणी से विवाह किया था।
राधा से नहीं किया विवाह
राधा और कृष्ण बचपन के साथी थे। कृष्ण महज 8 साल के थे जब दोनों के बीच प्यार हुआ था। राधा कृष्ण से 11 माह बड़ी थीं और उनकी शक्तियों से परिचित भी थीं। श्रीकृष्ण को पूरे संसार में दो ही चीजों से प्यारा था एक उनकी बांसुरी जो उनके होंठों से लगी रहती थी औऱ एक थी राधा जो उनके दिल में बसती थी। बांसुरी उनके प्रेम का प्रतीक थीं और इसलिए जब राधा संसार से चली गई थीं तो कृष्णा ने अपनी बांसुरी भी तोड़ दी थीं। इनका देवीय तरीके से तो विवाह हुआ था, लेकिन सामाजिक रुप से इनका विवाह नहीं हुआ था।
कृष्ण जी विष्णु भगवान का अवतार थे और इस वजह से वह जिस भी रुप में आते थे मां लक्ष्मी उनकी पत्नी बनती थी। जब द्वापर युग आया तो विष्णु भगवान श्रीकृष्ण के रुप में आए और माता लक्ष्मी ने रुकम्णी के रुप मे जन्म लिया। रुकम्णी का जान्म विदर्भ देश के राजा की बेटी के रुप में हुआ था। उनके ऊपर पैदा होने के बाद से ही विपत्तियां शुरु हो गई थीं। पूतना नाम की राक्षसनी जिसने कृष्ण को जहरीला स्तनपान कराने का प्रयास किया था वह रुक्मणी को भी अपने जहरीले स्तनपान से मार देना चाहती थी।
रुक्मणी-कृष्ण का विवाह
पूतना ने रुक्मणी को दूध पिलाना चाहा तो ऐसा हो नहीं पाया। क्रोध में पूतना रुक्मणी को लेकर हवा में उड़ गई। पूतना जैसे जैसे उड़ रही थी रुकम्णी अपना वजन बढ़ाने लगीं। जब रुक्मणी का वजन बहुत ज्यादा हो गया तो पूतना के लिए उन्हें संभालना मुश्किल हो गया।पूतना ने रुकम्णी नीचे गिरा दिया। धरती पर गिरते ही रुक्मणी तलाब के एक कमल पर विराजमान हो गईं। वह तालाब बरसाना में थे। वहां रिजवान और कृति देव नाम के दंपति ने उन्हें उठा लिया और अच्छे से पालन पोषण कर उसका नाम राधा रखा।
राधा और कृष्ण की मुलाकात होती थी और उन्हें तब अलग होना पड़ा जब उनके मामा कंस ने दोनों भाईयों क मथुरा आमंत्रित कर दिया। कृष्ण तब राधा के पास गए औऱ उनसे मुलाकात करये वादा दिया कि वो लौट कर जरुर आएंगे, लेकिन कृष्ण अपना वादा पूरा नहीं कर पाए। उधर विदर्भ को पता चल गया कि राधा उनकी बेटी रुक्मणी है तो वह उसे अपने साथ ले गए। वहीं रुक्मणी कृष्ण से प्रेम करती थीं, लेकिन विदर्भ और कृष्ण में बैर था। इस वजह से श्रीकृष्ण ने रुकम्णी को भगाकर उनसे विवाह किया था। ऐसे में ये बात पता चलती है कि रुक्मणी औऱ राधा कोई अलग नहीं बल्कि एक ही थीं औऱ राधा से कृष्ण ने रुक्मणी के रुप में विवाह किया था।
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