अध्यात्म

महाभारत के कर्ण के जीवन के ये 5 अनकहे रहस्य

ऋषि दुर्वासा के वरदान के चलते कुंती ने सूर्य के आह्वान के आड़ कर्ण को जन्म दिया था. हालाँकि जन्म के कुछ समय पश्चात ही कुंती ने लोक-लाज के चकते अपनी संतान को नदी में बहा दिया था. लेकिन भगवान के आशीर्वाद के कारण नदी का पानी नन्हे कर्ण का बाल भी बांका नहीं कर पाया और वह हस्तिनापुर के सारथि अधिरथ को मिला. अधिरथ ने कर्ण को अपनी पत्नी राधा को सौंप दिया. राधा ने इस बालक को अपनी संतान समझ के पाला. शायद यही कारण है जो कर्ण को आज भी लोग राधेय के नाम से जानते हैं. आज हम आपको कर्ण से जुडी ऐसी 5 अनकहीं बातों या फिर यूँ कह लीजिए कि रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें जान कर आप भी हैरान रह जाएंगे.

पहला अनकहा रहस्य

मान्यता के अनुसार द्रौपदी कर्ण से प्यार करती थी और कर्ण भी उसे बेहद पसंद करता था.द्रौपदी से शादी करने की इच्छा ले कर कर्ण भी उनके स्वयंवर में पहुंचे थे. परंतु राजा द्रपुद का भीष्म से विरोध था जबकि कर्ण उनके पक्ष में थे. राजा द्रुपद ने स्वयंवर से पहले ही द्रौपदी को बताया दिया था कि कर्ण एक सूत पुत्र है ऐसे में यदि वह उसे चुनती है तो जीवन भर एक दासी बन कर उसे जीना पड़ेगा. शायद यही कारण था जो भरी सभा में द्रौपदी ने कर्ण को सूत पुत्र कह कर अपमानित कर दिया था. कहा जाता है कि द्रौपदी के चीरहरण के समय में उसे कर्ण से बचाने की उम्मीद थी लेकिन कर्ण अपना अपमान याद करके आगे नहीं बढ़ पाया.

दूसरा अनकहा रहस्य

पुराणों के अनुसार दुर्योधन की पत्नी का नाम भानुमती था. कर्ण और भानुमती एक दुसरे के सच्चे मित्र थे और दोनों की आपस में काफी बनती थी. एक बार भानुमती और कर्ण शतरंज खेल रहे थे. इस खेल में कर्ण भानुमती को पछाड़ रहा था और जीतता हुआ प्रतीत हो रहा था. अचानक दुर्योधन के आने पर भानुमती ने उठने की कोशिश की तो कर्ण ने उसे पकड़ कर वापिस बिठाना चाहा. इस दौरान भानुमती की मोतियों की माला कर्ण के हाथ में आकर टूट गई. हालाँकि भानुमती को डर था कि दुर्योधन उन्हें गलत न समझ ले लेकिन दुर्योधन का कर्ण पर अटूट विश्वास था और उन्होंने उस बात को अनदेखा कर दिया.

तीसरा अनकहा रहस्य 

एक बार माँ कुंती कर्ण के पास गई और पांडवों की तरफ से लड़ने के लिए उन्हें प्राथना करने लगी. कर्ण जानते थे कि कुंती उनकी अपनी माँ है लेकिन इसके बाद भी वह पांडवों का साथ देने से पीछे हट गए. कर्ण ने कहा कि मैंने अब तक अपना सारा जीवन कौरवों के साथ बिताया है इसलिए मैं उनके साथ विश्वासघात नहीं कर सकता. ऐसे में जब कुंती ने कर्ण से पुछा कि क्या तुम अपने ही भाईओं को मारोगे? तो जवाब में कर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह अर्जुन को छोड़ कर बाकी चारों भाइयों पर वार नहीं करेगा.

चौथा अनकहा रहस्य

अर्जुन और दुर्योधन की तरह ही कर्ण की शक्ति भी कम नहीं थी. कर्ण के पास इंद्र भगवान द्वारा दिया गया एज अमोघास्त्र था. यह अमोघास्त्र उन्हें इंद्र देवता से कवच और कुंडल के बदले में प्राप्त हुआ था. कर्ण इसका प्रयोग केवल एक ही बार कर सकते थे. यह कवच जिस पर भी चलाया जाता, वह निश्चित ही मारा जा सकता था. कर्ण इस वरदान का इस्तेमाल अर्जुन के खिलाफ करना चाहता था लेकिन इसका इस्तेमाल उससे भीम पुत्र घटोत्कच पर हो गया था. (यह भी पढ़ें : महाभारत का युद्ध)

पांचवा अनकहा रहस्य

मान्यता के अनुसार कर्ण, द्रौपदी और भगवान श्री कृष्ण के शरीर में समानता थी. कृष्ण की मांसपेशियां मृदु परंतु युद्ध के समय विस्तॄत हो जाती थीं इसलिए लड़कियों की तरह दिखने वाला उनका शरीर युद्ध के दौरान अत्यंत कठोर बन जाता था. यही खासियत श्री कृष्ण और द्रौपदी के शरीर में भी थी. अर्थात यह तीनो अपने शरीर को स्तिथि अनुसार कोमल या कठोर बना सकते थे.

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