मायवती को सुप्रीम कोर्ट से मिला करारा झटका, अब चुकाने होंगे मूर्तियों पर खर्च किए गए जनता के पैसे
जहाँ एक तरफ लोकसभा चुनाव के दिन नज़दीक आ रहे हैं, वहीँ दूसरी और सभी राजनितिक पार्टियों की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. बता दें कि हाल ही में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती को एक बड़ा झटका लगा है. मायावती आए दिन अपने बयानों को लेकर चर्चा में बनी ही रहती हैं. लेकिन इस बार उनके बयानों के कारण वह चर्चित नहीं हुई बल्कि इस बार सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सुर्ख़ियों में ला कर खड़ा कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन मायावती को लेकर ऐसा फैसला सुनाया है, जिसे जान कर हर कोई हैरान है. मिली जानकारी के अनुसार आपको ता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कल 10 साल पुराणी एक याचिका पर सुनवाई की जिसके लिए उन्होंने फैसले में मायावती को मूर्तियों पर खर्च किया गया सारा धन लौटाने के बारे में कहा.
इस मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश रंजन गोगोई ने जांच के बाद 2 अप्रैल को सुनवाई करने के बारे में कहा. बता दें कि यह याचिका साल 2009 में दायर की गई थी. मामले की सुनवाई से सियासी गलियारों में हडकंप मच चुका है. जहाँ एक तरफ चुनाव सिर पर है, वहीँ दूसरी और मायावती का इस मामले में फंसना उनके लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है. मायावती नोयडा पार्क में लगी एक प्रतिमा को लेकर पिछले लंबे समय से सबकी नजरों में थी. ऐसे में इस मामले पर अपना बयान देते हुए बहुजन समाज पार्टी के नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि यह एक मौखिक बयान था ना कि आदेश. सतीश के अनुसार कोर्ट का लिखती फैसला नही आया है और सुनवाई अगली अप्रैल को होगी.
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में बनी हाथी चिन्ह की मूर्तियों को बनवाने के कारण मौखिक रूप से मायावती को सारा धन जनता को लौटाने के बारे में कहा. कोर्ट एक वकील द्वारा दायर की गई इस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसके बारे में कहा गया कि ककसी भी राजनितिक पार्टी को जनता के धन से सावर्जनिक स्थलों पर मूर्तियाँ बनाने की अनुमति नहीं है. ऐसे में कोई राजनितिक दल अपने चुनाव प्रचार के लिए ऐसा नहीं कर सकता.
Supreme Court says prima facie BSP leader Mayawati has to pay back all the public money spent on statues while hearing a plea seeking direction to restrain her from spending public money on building statues. CJI Ranjan Gogoi says it would hear the plea on April 2. (file pic) pic.twitter.com/I6vWjTujfR
— ANI UP (@ANINewsUP) 8 February 2019
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में मुख्य मंत्री होने के दौरान मायावती ने साल 2009 में अपनी बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिन्ह यानि हाथी की मूर्तियाँ कईं शहरों में लगवाई थी. इसके साथ ही उन्होंने राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में ‘राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल’ में बाबा साहेब आंबेडकर और काशीराम के साथ साथ अपनी भी एक प्रतिमा लगवाई थी. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, ”हमारे संभावित विचार में मायावती को अपनी और चुनाव चिह्न की मूर्तियां बनवाने पर खर्च हुआ सार्वजनिक धन सरकारी खजाने में वापस जमा करना होगा.
बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई के लिए न्यायाधीश पीठ ने 2 अप्रैल 2019 का दिन तय किया है. आरटीआई के जवाब में कईं साल पहले उप्र निर्माण ने बताया था कि मायावती द्वारा लखनऊ में लगी इन मूर्तियों पर लगभग 3.5 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. जबकि नोएडा में बनी मूर्तियों का कुल खर्चा 13.62 लाख रुपए था.