जानें आखिर क्यों शनिदेव की कुदृष्टि से बचा सकते हैं सिर्फ हनुमान, क्यों शनिदेव को चढ़ाते हैं तेल
शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। अक्सर लोग उनका नाम सुनकर घबराने लगते हैं क्योंकि शनि की दृष्टि से व्यक्ति का सर्वनाश हो सकता है। हालांकि घबराने की जरुरत उन्हें हैं जो कोई गलत काम करते हैं। शनिदेव कभी किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं करते। वह अपराधी क दंड देते हैं और अच्छा कर्म करने वाले को उपहार। जिस पर शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं उसकी जिंदगी ही बदल देते हैं। अगर शनिदेव की कृपा पानी हो तो शनिवार को उन्हें कड़ुवा तेल चढ़ाना चाहिए। हालांकि आपके मन में भी सवाल आता होगा कि आखिर शनिवार के दिन शनि देव को कड़ुवा तेल क्य़ों चढ़ाते हैं। जहां दूसरे देवी देवता लड्डू और फूल से प्रसन्न होते हैं वहीं शनि तेल से आखिर क्यों प्रसन्न हो जाते हैं। आपको बताते हैं इससे जुड़ी दो कहानी।
जब हनुमान ने की थी शनिदेव की पिटाई
शनिदेव को तेल चढ़ाने के पीछे दो कहानियां प्रचलित हैं। पहली कहानी ये थी की शनिदेव बहुत ही ताकतवर और शक्तिशाली थे। उन्हें अपनी शक्तियों का घमंड हो गया था। यहां तक की उन्होंने अपनी शक्ति से भगवान शिव को भी कुछ समय के लिए परेशान कर दिया था। उन्हें लगता था कि वह किसी पर भी काबू पा सकते हैं। उस वक्त हर जगह हनुमान जी की भक्ति और बल प्रदर्शन की बहुत तारीफ होती थी। शनिदेव ने सोचा कि अगर वह हनुमान जी को भी हरा देंगे तो हर जगह सिर्फ उनका गुणगान होगा।
शनि महाराज हनुमान जी के पास गए और उन्हें युद्ध के लिए ललकारा। शनि देव जब युद्ध के लिए हनुमान जी को बुला रहे थे उस वक्त हनुमान जी राम भक्ति में विलीन थे। हनुमान जी उन्हें समझाने लगे कि युद्ध की बात छोड़ दें इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। शनिदेव घमंड में चूर थे उन्हें लगा कि हनुमान जी भयवश इससे हट रहे हैं। दोनों के बीच जब युद्ध हुआ तो हनुमान जी ने शनिदेव की पिटाई कर दी।
तेल लगाकार शनिदेव की बचाई जान
एकलौते हनुमान जी थे जो शनिदेव को हरा पाए थे और उन्हें घायल किया था। शनिदेव हार के बाद कराहने लगे तो उनकी पीड़ा हनुमान जी से देखी नहीं गई। हनुमान जी ने उन्हें दर्द से बचाने के लिए उनके पूरे शरीर पर तेल लगाया। कुछ देर में ही हनुमान जी के तेल लगाने से शनिदेव का सारा दर्द चला गया। शनि देव ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि हे प्रभु आज से जो भी मनुष्य आपकी आराधना करेगा वह मेरी कुदृष्टि से बच जाएगा औऱ जो भी भक्त मुझे श्रद्धा से तेल अर्पित करेगा उसे कोई कष्ट नहीं होगा। इसके बाद से हर जगह शनिवार के दिन शनि देव को तेल चढ़ाने की प्रकिया शुरु हुई।
इसके साथ ही एक और घटना की जिक्र किया जाता है जहां रावण ने अपने अंहकार में शनिदेव को बंदी बना लिया था। यहां तक की शनिदेव को उसने उल्टा लटका दिया था। जब हनुमान जी रावण की लंका में पहुंचे तो रावण ने उनकी पूंछ में आग लगी दी। हनुमान ने पूरी लंका में आग लगा दी थी। शनिदेव वहां फंसे रहने की वजह से जल गए थे। जब हनुमान जी ने शनिदेव को कराहते देखा तो उन्हें तेल लगाया इसके बाद से उन्हें आराम मिल गया। इसके बाद से शनिदेव को तेल चढ़ाने की परंपरा शुरु हुई।
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