बसंत पंचमी 2019: जानिए माँ सरस्वती के जन्म की कथा, कंठ और जिह्वा में वास करती हैं माता
बसंत पंचमी के त्योहार को पूरे भारत में मनाया जाता है और इस त्योहार के दिन लोग पीले रंग के वस्त्र जरूर पहनते हैं. बसंत पंचमी का ये पर्व मां सरस्वती से जुड़ा हुआ है और इस त्योहार के दिन हर कोई इन मां की पूजा जरूर करता है. हर वर्ष ये पर्व माघ शुक्ल पंचमी में आता है और इस पर्व को मां सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है. वहीं आखिर कौन थी सरस्वती मां, इनका जन्म कैसे हुआ और इस पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी इस प्रकार है.
सरस्वती मां के जन्म की कथा
सरस्वती मां के जन्म से जुड़ी एक कथा के मुताबिक एक बार ब्रह्मा जी इस संसार को बनाने के बाद संसार में घूमने के लिए आए थे. और ये संसार घूमते वक्त इनको संसार के लोगों में कमी का एहसास हुआ. क्योंकि इस संसार में मौजूद लोगों के पास ना ही ज्ञान था और ना ही बोलने के लिए शब्द थे और ये संसार काफी उदासी भरा हुआ था. इस प्रकार का संसार देखने के बाद ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल में से जल लेकर कुछ बूंदे पानी की छिड़की. इन बूंदों को छिड़कने के बाद ही एक माता रानी प्रकट हुई. जो कि सफेद रंग के वस्त्र में थी और उनकी हाथ में एक वीणा भी थी और इन मां का नाम सरस्वती था.
सरस्वती के प्रकट होने के बाद ब्रह्मा जी ने उनको संसार में फैली इस उदासी के बारे में बताया. वहीं ब्रह्मा जी की इस चिंता को सुनने के बाद मां ने अपनी वीणा बजाना शुरू कर दिया और वीणा की धुन लोगों के कानों में पड़ते ही उदासी का माहौल खत्म हो गया और पूरे संसार में एक उमंग सी पैदा हो गई. साथ में ही लोगों को ज्ञान भी हासिल होने लगा.
इस तरह से धरती पर मां सरस्वती जी का जन्म हुआ. वहीं कहा जाता है कि इस धरती पर आते ही मां ने संसार में ज्ञान का प्रकाश लोगों के बीच में बांटा था और इसलिए इनको ज्ञान की देवी भी माना जाता है.
ज्ञान का है पर्व
इस पर्व को ज्ञान के पर्व का दर्जा भी प्राप्त हैं जिसके चलते कई लोगों द्वारा इस शुभ दिन ही अपने बच्चों को शिक्षा देना शुरू किया जाता है. इस पर्व के दिन ही कई सारे माता पिता अपने छोटे बच्चों को प्रथम अक्षर लिखना भी सिखाते हैं.
बसंत पंचमी 2019: जानिए माँ सरस्वती के जन्म की कथा, कंठ और जिह्वा में वास करती हैं सरस्वती मां
ऐसा कहा जाता है कि सरस्वती मां का वास हर मनुष्य के कंठ और जिह्वा में है. इसलिए इस पर्व के दिन लोगों के मुंह से केवल सही बात और सही शब्द ही निकलने चाहिए क्योंकि इस दिन बोली गई कई बात सत्य भी हो जाती है.
होती है विशेष पूजा
इस दिन छात्रों के अलावा संगीतकारों, साहित्यकारों और अन्य कलाओं से नाता रखने वाले लोग मां की विशेष पूजा करते हैं क्योंकि मां के द्वारा ही उन्हें अपनी कला में ज्ञान हासिल होता है और वो अपनी कला में निपुण बन पाते हैं.