99% लोग नहीं जानते हैं भगवान राम और सीता के उम्र में कितने साल का था अंतर, क्या आप जानते हैं?
भगवान राम और सीता का जीवन आज भी लोगों के लिए मिसाल है। लोगों को राम की तरह जीवन जीने की सलाह दी जाती है। भगवान राम और सीता करोड़ो लोगों के आराध्य देव हैं। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हर इंसान रामायण देखता या सुनता ज़रूर है। रामायण में भगवान राम और सीता के जीवन की व्याखा की गई है। रामायण एक धार्मिक पुस्तक है, जिसके आधार पर लोग भगवान राम और सीता के जीवन की कठिनाई से अवगत होते हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए रामायण के जुड़े एक ऐसा राज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे आप अभी तक अंजान होंगे। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
कई बार रामायण पढ़ने या देखने के बाद आप लोगोंं के मन में एक सवाल ज़रूर आएगा होगा कि आखिर भगवान राम और सीता के बीच उम्र का फासला क्या होगा? हालांकि, भगवान राम और सीता के उम्र का साफ तौर पर ज़िक्र कहीं नहीं किया गया है, लेकिन रामायण में इसका ज़िक्र हुआ है। रामायण में यह बताया गया है कि भगवान राम और सीता के बीच उम्र का फासला क्या है? आप अक्सर पूरी रामायण पढ़ लिए होंगे, लेकिन कभी भी इस राज पर आपका ध्यान ही नहीं गया होगा।
भगवान राम और सीता के बीच इतने उम्र का था अंतर
रामायण में भगवान राम और सीता के बीच उम्र के फासले का ज़िक्र किया गया है। हालांकि, जब रामायण का प्रसारण किया जाता है, तब उम्र के बारे में नहीं बताया जाता है, लेकिन रामायण में उल्लेखित एक दोहे से पता चलता है कि आखिर भगवान राम और सीता के बीच कितने उम्र का अंतर था? दरअसल, हिंदू धर्म में लड़के और लड़की की शादी जब होती है, तो सबसे उम्र देखा जाता है और फिर उसी हिसाब से बात आगे बढ़ती है।
दोहा – ‘वर्ष अठारह की सिया, सत्ताइस के राम। कीन्हों मन अभिलाष तब, करनो है सुर काम॥’
दोहे का अर्थ – इस दोहे का अर्थ है कि भगवान राम और सीता के बीच 9 साल का अंतर था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम और सीता के बीच 9 साल का अंतर था। भगवान राम की उम्र उस समय 27 थी, तो वहीं सीता मैइया की उम्र 18 साल की थी। ऐसे में भगवान राम उस समय सीता मैइया से 9 साल एक महीने के बड़े थे। बता दें कि भगवान राम को प्रसन्न करने के लिए देवी सीता ने व्रत किया था, जोकि स्त्रियों के लिए एक मिसाल है।
स्त्रियों के लिए मिसाल है माता सीता
माता सीता का जीवन स्त्रियों के लिए मिसाल है। माता सीता ने भगवान राम को प्रसन्न करने के लिए व्रत किए। इस व्रत को सीता नवमी के दिन किया जाता है। इस व्रत को जो भी स्त्री करती है, उसका घर परिवार हमेशा के लिए बना रहता है। इतना ही नहीं, इस व्रत से घर में सुख शांति भी आती है और किसी तरह का कलेश नहीं होता है।